________________
श्रमण : अतीत के झरोखे में
१५९
Jain Education International
लेखक डॉ० रामप्रवेश कुमार Prof. S. C. Pande डॉ० शिव प्रसाद डॉ० सागरमल जैन
४८ ४८ ४८८
१-३
४८
४८
ई० सन् १९९७ १९९७ १९९७ १९९७ १९९७ १९९७ १९९७ १९९७ १९९७ १९९७ १९९७
पृष्ठ ७१-७५ ७६-८२ ८३-११७ १-१९ २०-२९ ३०-५९ ६०-७० ७१-७६ ७७-११२ ११३-१३२ १३३-१४०
४८
४-६
४८
४-६
४८
लेख जैन चम्पूकाव्य एक परिचय Ācārya Hemacandra and Ardhamāgadhi पिप्पलगच्छ का इतिहास - जैनधर्म में सामाजिक चिन्तन
अध्यात्म और विज्ञान जैन, बौद्ध और हिन्दूधर्म का पारस्परिक प्रभाव आचार्य हेमचन्द्र : एक युगपुरुष सम्राट अकबर और जैनधर्म जैनधर्म में अचेलकत्व और सचेलकत्व का प्रश्न स्त्रीमुक्ति, अन्यतैर्थिकमुक्ति एवं सवस्रमुक्ति का प्रश्न प्रमाण-लक्षण-निरूपण में प्रमाण-मीमांसा का अवदान पं० महेन्द्रकुमार 'न्यायाचार्य' द्वारा सम्पादित एवं अनूदित षड्दर्शनसमुच्चय की समीक्षा आगम साहित्य में प्रकीर्णकों का स्थान, महत्त्व, रचनाकाल एवं रचयिता जैनधर्म में आध्यात्मिक विकास The Heritage of Last Arhat Mahavira Mahāvīra
४-६
For Private & Personal Use Only
४८
४८
४-६ ४-६
४८
४८
४-६
१९९७
१४१-१४६
४८
४८
www.jainelibrary.org
४८ ४८
१९९७ १९९७ १९९७ १९९७
४-६ ४-६ ४-६
Charlotte Krause
१४७१५६ १५७-१६० 1-27 1-17
Amarchand