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वर्ष
Jain Education International
अंक ११
ई० सन् १९६९ १९६९
पृष्ठ २३-२६ २७-३४
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख
लेखक संवेगरंगशाला क्या देवभद्रसूरि-रचित और अनुपलब्ध है ? श्री अगरचन्द नाहटा श्रीकृष्णः एक समीक्षात्मक अध्ययन (क्रमश:) श्री धन्यकुमार राजेश Jaina System of Education as revealed from the Nisitha Curni Dr. Madhu Sen महावीर और गांधी का अहिंसादर्शनजनजीवन के सन्दर्भ में
श्रीरंजन सूरिदेव स्याद्वाद एक परिशीलन
श्री देवेन्द्रमुनि शास्त्री विग्रहगति एवं अन्तराभव
डॉ० कोमलचन्द जैन श्रीकृष्ण : एक समीक्षात्मक अध्ययन
श्री धन्यकुमार राजेश संवेगरंगशाला - एक स्पष्टीकरण
प्रो० हीरालाल रसिकलाल कापड़िया Jaina System of Education as revealed from the Nisitha Curni Dr. Madhu Sen सावयपण्णत्ति :एक तुलनात्मक अध्ययन (क्रमश:) पं० बालचन्द सिद्धान्तशास्त्री युवक के प्रति
श्री चन्दनमल चांद दक्षिण भारत में जैनधर्म और संस्कृति
श्री गणेश प्रसाद जैन कृतिकर्म के बारह प्रकार
मुनि श्री नथमल जी संवेगरंगशाला नामक दो ग्रन्थ नहीं एक ही है श्री अगरचन्द नाहटा सावयपण्णत्ति :एक तुलनात्मक अध्ययन (क्रमश:) पं० बालचन्द सिद्धान्तशास्त्री
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