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श्रमण : अतीत के झरोखे में
अंक
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८५ पृष्ठ १७-१९ २०-२३ २४-३८ ३-४
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लेख
लेखक प्रयाग-एक महान जैन क्षेत्र
श्री सुबोध कुमार जैन वहित और अहित
श्री गणेश प्रसाद जैन प्राकृत व्याकरण और भोजपुरी का 'केर' प्रत्यय पं० कपिलदेव गिरि उच्चगोत्र और नीचगोत्र
डॉ० मोहनलाल मेहता चण्डकौशिक का उपसर्गस्थान योगीपहाड़ी श्री भंवरलाल नाहटा जैनधर्म में शक्ति पूजा का स्वरूप
श्री प्रेमकुमार अग्रवाल चतुर्विंशतिस्तव का भेद और एक अतिरिक्तगाथा श्री अगरचन्द नाहटा बंगला आदि भाषाओं के सम्बन्धवाची प्रत्यय पं० कपिलदेव गिरि Jain Concept of Liberation
Shri I.B. Pandey पौराणिक साहित्य में राजनीति
श्री धन्यकुमार राजेश णायकुमारचरिउ की सांस्कृतिक पृष्ठभूमि श्रीरंजन सूरिदेव आचार्य हरिभद्रसूरि का दार्शनिक दृष्टिकोण कु० सुशीला जैन कुरलकाव्य
श्री फूलचन्द जैन 'प्रेमी' महावीर की निर्वाण भूमि पावा की वर्तमान स्थिति श्री कन्हैयालाल सरावगी कर्म की मर्यादा
डॉ० मोहनलाल मेहता भविसयत्तकहा तथा अपभ्रंश कथाकाव्य-कुछ प्रतिस्थापनायें डॉ० देवेन्द्र कुमार जैन जैनधर्म में उपासना
श्री प्रेमकुमार अग्रवाल दानवीरता का कीर्तिमान-वस्तुपाल
श्री चम्पालाल सिंघई
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ई० सन् १९७१ १९७१ १९७१ १९७१ १९७१ १९७१ १९७१ १९७१ १९७१ १९७१ १९७१ १९७१ १९७१ १९७१ १९७१ १९७१ १९७१ १९७१
९-१२ १३-१७ १८-२९ ३०-३५ ३-१३ १४-१८ १९-२३ २४-२९ ३०-३१ ३-५ ६-११ १२-१७ १७-२०
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