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श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक जैनदर्शन में योग का प्रत्यय
श्री प्रेमकुमार अग्रवाल कनड़ में जैन साहित्य
पं० के० भुजबली शास्त्री भक्तामर की एक और सचित्रप्रति
श्री अगरचंद नाहटा विश्वेश्वरकृत श्रृंगारमंजरी सड़क का अनुवाद (क्रमश:) डॉ० के० आर० चन्द्र ग स्वयंभू की गणधर परम्परा
डॉ० देवेन्द्र कुमार जैन " जैन मिस्टीसिज्म
प्रो० यू० ए० असरानी पश्चिम भारत का जैन संस्कृत साहित्य को योगदान श्री प्रेमसुमन जैन जैन संस्कृति के प्रतीक मौर्यकालीन अभिलेख डॉ० पुष्पमित्र जैन तीर्थंकर और दुःखवाद
डॉ० देवेन्द्र कुमार जैन विश्वेश्वरकृत श्रृंगारमंजरी सट्टक का अनुवाद (क्रमश:) डॉ० के० आर० चन्द्र Prakrit Bhasyas
Dr. M.L. Mehta . आगमों में राजा एवं राजनीति पर स्त्रियों का प्रभाव डॉ० प्रमोद मोहन पाण्डेय प्राचीन भारतवर्ष में गणतंत्र का आदर्श
श्री कन्हैयालाल सरावगी अद्धमागहाए भाषाए भासंति अरिहा
श्री नन्दलाल मारु विश्वेश्वरकृत श्रृंगारमंजरी सट्टक का अनुवाद डॉ० के० आर० चन्द्र Jaina View of Kevalin
Dr. L.K. L. Srivastava भारतीय कथा साहित्य में पद्मचरित का स्थान श्री रमेशचन्द्र जैन
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