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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक पं० के० भुजबलि शास्त्री मुनि दुलहराज जी
वर्ष
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१६ १६
अंक ३ ३
ई० सन् १९६५ १९६५
पृष्ठ २०-११ २२
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लेख डणायक रविकीर्ति उपदेश विधि कर्मप्राभृत अथवा षटखंडागम - एक परिचय (क्रमश:) त्याग का मनोविज्ञान पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान की कार्यदिशा जैनदर्शन और भक्ति-एक थीसिस भगवान् बुद्ध और भगवान् महावीर क्या जैनधर्म जीवित रह सकता है ? रहस्यवादी जैन अपभ्रंशकाव्य का हिन्दी साहित्य पर प्रभाव कर्मप्राभृत अथवा षट्खंडागमएक परिचय (क्रमश:) रायपसेणियउपांग और उसका रचनाकाल की समीक्षा श्रमण संस्कृति का हार्द रहस्यवादी जैन अपभ्रंशकाव्य का हिन्दी साहित्य पर प्रभाव (क्रमश:)
डॉ० मोहनलाल मेहता श्री माँ, अरविन्दाश्रम पं० सुखलाल संघवी डॉ० देवेन्द्र कुमार पं० दलसुख मालवणिया श्री गोपीचन्द धाड़ीवाल
१९६५ १९६५ १९६५ १९६५ १९६५ १९६५
२३-२८ २९-३३ ३४-३६ ३-८ ९-२१ २२-२५
१६ १६
४ ४
श्री प्रेमचन्द जैन शास्त्री
१९६५
२६-३१
डॉ० मोहनलाल मेहता
४
१९६५
३२-३७
मुनि कल्याणविजय श्री लक्ष्मीनारायण 'भारतीय'
१६
५
१९६५ १९६५
३८ २-११
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श्री प्रेमचन्द शास्त्री
___१६
५
१९६५
१२-१७