Book Title: Shatkhandagama Pustak 08
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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विषय-सूची
क्रम नं. विषय
पृष्ठ क्रम नं. विषय १ धवलाकारका मंगलाचरण १ १४ ध्रुववन्धी प्रकृतियोंका निर्देश २ वन्ध-स्वामित्व विचयका दो । १५ निरन्तरबन्ध और ध्रुवबन्धमें प्रकारसे निर्देश
विशेषता ३ बन्ध-स्वामित्व-विचयका अवतार
२/१६ मूल और उत्तर प्रत्ययोंकी विस्तृत
प्ररूपणा ४ बन्ध व मोक्षका स्वरूप .
१७ गतिसंयोगादिविषयक प्रश्नोंका ५ बन्ध-स्वामित्व-विचयका निरु
उत्तर त्यर्थ
|१८ निद्रानिद्रादिक पच्चीस प्रकृ६ ओघसे बन्ध-स्वामित्व-विचयके
तियोंके बन्धस्वामित्व आदिका चौदह जीवसमासोंका निर्देश
विचार ७ चौदह गुणस्थानोंमें प्रकृतिबन्ध १९ निद्रा और प्रचला प्रकृतिके बंधव्युच्छेदकी प्रतिज्ञा
स्वामित्व आदिका विचार ८ व्युच्छेदके भेद और उनका | २० सातावेदनीयके बन्धस्वामित्व निरुक्त्यर्थ
___आदिका विचार ओघकी अपेक्षा बन्धस्वामित्व ७-९२
| २१ असातावेदनीय आदि छह
प्रकृतियोंके बन्धस्वामित्व ९ पांच ज्ञानावरणीय आदिके
आदिका विचार बन्धकोंकी प्ररूपणामें तेईस
| २२ मिथ्यात्व आदि सोलह प्रकृतिप्रश्नोंका उद्भावन
योंके वन्धस्वामित्व आदिका १० प्रकृतियोंकी उदयव्युच्छित्ति ९ विचार ११ प्रकृतियोंके बन्धोदयकी पूर्वा २३ अप्रत्याख्यानावरणीय आदि नौ परता
प्रकृतियोंके बन्धस्वामित्व १२ पांच शानावरणीयादिकोंके बंधके
- आदिका विचार स्वामी व उसके व्युच्छेदस्थानकी |२४ प्रत्याख्यानावरणचतुष्कके बन्ध प्ररूपणा करते हुए उन तेईस ___स्वामित्व आदिका विचार प्रश्नका उत्तर
१२ | २५ पुरुषवेद और संज्वलनक्रोधके १३ सान्तर, निरन्तर और सान्तर
बन्धस्वामित्व आदिका विचार निरन्तर रूपसे बंधनेवाली २६ संज्वलन मान और मायाके बन्धप्रकृतियोंका निर्देश
१६. स्वामित्व आदिका विचार
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