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सरस्वती
सभ्यता के चिह्न प्राप्त हुए हैं। यह पाषाण- सभ्यता अत्यन्त निम्न श्रेणी की थी और इसमें से प्रोटो- इलामाइट सभ्यता के विकसित होने के कुछ प्रमाण नहीं मिले, अतः पुरातत्त्ववेत्ताओं का कथन है कि प्रोटो- इलामाइट लोग अपनी ताम्र-सभ्यता के साथ किसी अन्य देश से इलाम और मेसोपोटामिया में आकर बसे थे । यहाँ आकर इन्होंने यहाँ के मूल निवासी पाषाण- सभ्यतावाली जाति को नष्ट कर दिया या भगा दिया और स्वयं यहाँ बस गये। ये प्रोटो- इलामाइट खेती करते थे । इनकी एक चित्र - लिपि के नमूने भी प्राप्त हुए हैं। ये कृषि तथा गृह कार्य के लिए पशु पालते थे । ऊन के वस्त्र पहनते थे । ताँबे के हथियार तथा औज़ारों को उपयोग में लाते थे। ये लोग किस मूलदेश के निवासी थे, इसका अब तक पता नहीं लगा । यह जाति प्रलय की बाढ़ में नष्ट हो गई, क्योंकि प्रलय के स्तर के ऊपर इसकी सभ्यता के चिह्न नहीं प्राप्त हुए, अपितु सुमेरु-जाति की काँसे की सभ्यता के चिह्न प्राप्त हुए हैं। प्रलय की विनाशकारी घटना से इन लोगों की जो जन-संख्या बची वह पुनः अपने मूल देश को वापस चली गई । इलाम में सुसा तथा तपा-मुस्यान तक प्रलय की बाढ़ नहीं पहुँच पाई थी, तथापि वहाँ इन लोगों की उजड़ी हुई बस्तियाँ पाई गई हैं। इससे यही सिद्ध हुआ है कि प्रलय के पश्चात् इस जाति के जो कुछ लोग बचे 'पुनः अपने देश को लौट गये ।
कुछ
वे
सुमेरु-जाति
इलाम में बेरखा नदी के तट पर सुसा-नगरी इन लोगों की सभ्यता का केन्द्र थी। सुसा तक प्रलय का जल नहीं पहुँच पाया था, तथापि ये लोग उसको छोड़कर चले गये और सुसा उजड़ गया । इस उजड़े नगर पर धूल मी शुरू हो गई और कालान्तर में यह धूल का स्तर पाँच फुट मोटा हो गया। इसके पश्चात् एक काँसे की सभ्यतावाली जाति कहीं से आई और सुसा तथा सारे मेसोपोटामिया में बस गई। यह जाति सुमेरु कहलाती थी । सुमेरु का अर्थ है ‘सु' जाति । प्रोटो- इलामाइट तथा सुमेरुसभ्यता के अवशेषों की परीक्षा करके डाक्टर फ्रेंकफ़ोर्ट, डी० मोर्गन, डाक्टर लेंग्डन आदि विद्वानों ने निर्णय किया है कि प्रोटो- इलामाइट -सभ्यता का ही विकसित रूप सुमेरु-सभ्यता थी । अर्थात् सुमेरु- सभ्यता प्रोटो- इलामाइट
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Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
[ भाग ३८
सभ्यता से ही उत्पन्न हुई थी । प्रोटो- इलामाइट - जाति प्रलय के कारण स्वदेश वापस चली गई और वहाँ इसकी सभ्यता का विकास हुआ। इस विकसित सभ्यता का ही नाम सुमेरु सभ्यता हुा । सुमेर-जाति पुनः अपने पूर्वज प्रोटो- इलामाइट लोगों के निवासस्थान इलाम और मेसोपोटामिया में आकर बसी । प्रोटो- इलामाइट - जाति का स्वदेश कौन-सा था, प्रलय के पश्चात् वह कहाँ चली गई थी और कहाँ से पुनः सुमेरु-सभ्यता को लेकर मेसोपोटामिया में श्राई, संसार के प्राचीन इतिहास का यह एक ' महत्त्वपूर्ण उलझा हुआ प्रश्न है ।
प्रोटो- इलामाइट तथा भारत की आमरी सभ्यता
कुछ वर्ष पूर्व सिन्ध- प्रदेश में जो प्रागैतिहासिक स्थलों की खुदाइयाँ हुई हैं उनसे इस महत्त्वपूर्ण प्रश्न का उत्तर मिल जाता है । इस प्रदेश में सरस्वती नदी के तट प्रदेश पर किस प्रकार पाषाण-सभ्यता में से ताम्र-सभ्यता की उत्पत्ति हुई, इस विषय में पहले लिखा जा चुका है। इस ताम्रसभ्यता के अवशेष सिन्ध- प्रदेश तथा उस प्रदेश में जहाँ से होकर सरस्वती बहती थी, काफ़ी परिमाण में प्रात हो चुके हैं। सिन्ध- प्रदेश के श्रमरी नामक स्थान में इसकी नियमित खुदाई हुई है, अतः सरकारी पुरातत्व विभाग के उस समय के अधिकारी सर जान मार्शल ने इस ताम्र-सभ्यता को श्रामरीसभ्यता का नाम दिया है । श्रामरी सभ्यता तथा प्रोटो- इलामाइट-सभ्यता की वस्तुएँ एक-दूसरे से बिलकुल मिलतीजुलती हैं । श्रामरी - सभ्यता के अवशेष स्वरूप जो हथियार - औज़ार, मिट्टी के पात्र श्रादि वस्तुएँ प्राप्त हुई हैं, ठीक वैसी ही वस्तुएँ प्रोटो- इलामाइट -सभ्यता की पाई गई हैं, अतः सिद्ध होता है कि ग्रामरी तथा प्रोटो- इलामाइट एक ही प्रकार की सभ्यता थीं, जिसके सप्तसिन्धु में सरस्वती- तट पर उत्पन्न होने के विषय में लिखा जा चुका है। प्रोटो- इलामा - इट लोग वास्तव में सप्तसिन्धु में निवास करनेवाले वे आर्य-कृषक थे जो बिलोचिस्तान और ईरान होते हुए इलाम तथा मेसोपोटामिया की उर्वरा भूमि में प्रलय के पूर्व जा बसे थे । मेसोपोटामिया की मुख्य नदी फ़ुरात अमोनिया के बर्फीले पर्वतों में से निकलती है। ऐसी नदियों में अक्सर भयंकर बाढ़े श्राया करती हैं । कुछ वर्ष पूर्व कश्मीर में बर्फ का एक बंध टूट जाने से सिन्धु नदी में भयंकर बाढ़ आ गई थी। ठीक ऐसी ही एक बड़ी बाढ़
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