Book Title: Sanmatitarka Prakaranam Part 2
Author(s): Sukhlal Sanghavi, Bechardas Doshi
Publisher: Gujarat Puratattva Mandir Ahmedabad
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(४) टीकावाळी कोई प्रतिमां कांडनां खास नामो लखवामां आव्यां नथी. मात्र मूळनी प्रतिमां पहेला कांड- नाम 'नयकांड' छे, अने बीजानुं नाम 'जीवकांड' छे. त्रीजानु कशुं नाम नथी आप्यु.
अमे अहीं कांडोनां जे नामो राखेलां छे ते मूळना विषयने अनुसरीने राखेलां छे. मूळनी प्रतिमां जे बीजा कांडनुं नाम 'जीवकांड' लखेलं छे तेना करतां मूळनो विषय जोतां तेनुं 'ज्ञानकांड' नाम वधारे बंधबेसतुं लागे छे. तेथी ज अमे ए प्रतिमांगें पहेलु नाम कायम राख्युं छे. बीजा कांडर्नु नाम बदल्युं छे अने त्रीजा कांडनुं नाम तो अमारे विषय प्रमाणे नवं कल्पवू पड्युं छे.
आगळना चारे भागोमां परंपराप्रसिद्ध एवं 'सम्मति' नाम कायम राखेलं पण ए विषे विशेष ऊहापोह करीने अमे आ भागमा 'सन्मति' एवं नाम राखेखें छे. ए विषे अमे तेम करवाना कारणनी सप्रमाण चर्चा छट्टा भागमा प्रस्तावनामां करेली छे.
(५) पाठांतरोनी पद्धति आ भागमां बीजा भागोना जेवी ज राखी छे अने बीजा भागोमां वपरायेली प्रतिओनो उपयोग पण तेटलो ज थयो छे. कोई खास नवी प्रति उमेराणी नथी पण ताडपत्रनी बे प्रतिमांनी ल० संज्ञावाळी प्रतिनो अंतनो घणो भाग अधूरो होवाथी तेनो उपयोग अमे आमां करी शक्या नथी.
परिशिष्टोनो परिचय. ग्रंथर्नु रहस्य, संशोधकोने उपयोगी एवी ऐतिहासिक वस्तु अने संपादनशैली वगेरेने समजवा माटे ग्रंथने अंते नीचे जणावेला खरूपवाळां १३ परिशिष्टो अकारादि क्रममा आपवामां आव्यां छे.
१. पहेला परिशिष्टमां सन्मतिनी मूळ गाथाओ तेना कांडना अने गाथाना अंक साथे मूकवामां आवी छे.
२. जे जे श्वेताम्बरीय के दिगम्बरीय न्यायग्रंथो प्रस्तुत संपादनने अंगे अमारा जोवामां आवेला, तेमां ज्या ज्या सन्मतिसूत्रनी मूळ गाथाओ उद्धृत करायेली छे, तेने लगतुं बीजं परिशिष्ट छे. एमां नयचक्र अने सिद्धिविनिश्चय जेवा केटलाक हस्तलिखित दुर्लभ ग्रंथोनी पण नोंध छे.
३. त्रीजु परिशिष्ट पण बीजाना जेवू ज छे, मात्र तेमां सन्मतिना रहस्यने पूरेपूरुं पामी पोतानी कृतिमा परिणमावनाराओमां विरल एवा श्रीमान् यशोविजय उपाध्यायजीना लगभग बधा मुद्रित ग्रंथोनो उपयोग करेलो छे.
श्रीमान् यशोविजयजीए पोताना ग्रंथमां ज्यां ज्यां सन्मतिसूत्रनी गाथाओ उद्धरेली छे त्यां त्यां बधे तेमणे विवरण पण करेलुं छे. एमांनु केटलुक विवरण तो खतंत्र छे, जे प्रस्तुत टीकाने अनुसरतुं पण नथी. अमे एम धारेलु के श्रीमान् यशोविजयजीना विवरणवाळी बधी गाथाओनो एक संग्रह करवो, जे सन्मतिनी लघु टीका जेवो बनी जाय; पण ए माटे एक खास जुदो बीजो भाग ज तैयार करवो पडत जेथी ग्रंथ प्रकाशनमा घणो वधारे विलंब थात, तेथी ए संग्रह न करतां अहिं आ परिशिष्ट ज एवं आपलं छे के तेने वांचनारो कोई व्युत्पन्न विद्यार्थी पण ए संग्रहने सुखेथी करी शके.
४. परिशिष्ट चोथामां कांडना अने गाथाना अंक साथे तथा गाथानी व्याख्याना पृष्ठांक साथे मूळगाथागत शब्दोनो कोश आपेलो छे. जे एक ज शब्द ज्यां ज्यां जेटली वार वपरायो छे, तेना पण उपर लख्या प्रमाणेना बधा अंको आपी दीधा छे.
५. पांचमा परिशिष्टमां पूर्वपक्ष दर्शाववा के संवाद माटे टीकाकारे उद्धरेलां अन्यग्रंथगत सघळां गद्य के पद्य अवतरणोनो ग्रंथना पृष्ठांक साथे उतारो छे. तथा जे अवतरणो उपर विशेष टिप्पणी