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(1) पुराण साहित्य :
आदिनाथ पुराण
हरिवंश पुराण
(2) रासक साहित्य :--
राम सीता रास नागकुमार रास होली रास श्रेणिक रास अम्बिका रास जम्बस्वामी रास सुकोशलस्वामी रास दश लक्षण रास धन्यकुमार रास धनपाल रास नेमीश्वर रास अठावीस मूलगुण रास
यशोधर रास परमहंस रास धर्मपरीक्षा रास सम्यक मिथ्यात्व रास नागश्री रास भद्रबाहु रास रोहिणी रास अनन्तव्रत रास चारुदत्त प्रबन्ध रास । भविष्यदत्त रास करकण्डु रास
हनुमत रास अजितनाथ रास ज्येष्ठ जिनवर रास सुदर्शन रास श्रीपाल रास कर्मविपक रास सोलहकारण रास बंकचूल रास पूष्पांजलि रास जीवन्धर रास सुभौमचक्रवति रास
(3) गीत एवं स्तवन :
मिथ्या-दुकड विनती पालोचना जयमाल जिणंदगीत
आदिनाथ स्तवन जीवडा गीत
बारहवत गीत स्फुट वीनती, गीत आदि
(4) कथा साहित्य :
रविव्रत कथा चौरासी जाति जयमाल
अष्टांग सम्यक्त्व कथा भट्टारक विद्याधरकथा
व्रत कथा कोष पञ्च परमेष्ठि गुणवर्णन
पूजा साहित्य :
गुरु जयमाल जम्बूद्वीप पूजा
गुरु पूजा सरस्वती पूजा
शास्त्र पूजा निर्दोष सप्तमी व्रत पूजा
भाषा:
कवि के मुख्य क्षेत्र की भाषा गुजराती होने के कारण इनकी सभी रचनाओं पर गुजराती का स्पष्ट प्रभाव है। इसलिये कहीं-कहीं तो ऐसा लगने लगता है जैसे मानों वह गुजराती की ही रचना हो। ब्रह्म जिनदास ने अपने गुरु भ. सकलकीर्ति का प्रत्येक रचना में उल्लेख ही नहीं किया किन्तु श्रद्धा के साथ उनकी वन्दना भी की है।
ब्रह्म जिनदास की कृतियों में काव्य के विविध लक्षणों का समावेश है। यद्यपि प्रायः सभी काव्य शान्त-रस पर्यवसायी हैं लेकिन वीर, शृंगार, हास्य आदि रसों का भी यत्र-तत्र प्रयोग