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उक्त सन्त कवियों के अतिरिक्त भट्टारक शुभचन्द्र! (द्वितीय) भ. नरेन्द्रकीति, म. सुरेन्द्रकीति, ब्र. गुणकीर्ति, प्राचार्य जिनसैन, ब्रह्म धर्मरुचि', प्राचार्य सुमतिसागर, संयमसागर, त्रिभुवनकीर्ति, ब्रह्म अजित10, म. महीचन्द्र 1], मुनि राजचन्द्र 12, विद्यासागर, म. रत्नचन्द्र (द्वितीय), विद्याभूषण, ज्ञानकीर्ति आदि के नाम उल्लेखनीय हैं। इन विद्वानों ने राजस्थानी भाषा में विविध कृतियां लिख कर जन-जन में स्वाध्याय के प्रति रुचि पैदा की।
राजस्थान के जैन सन्त व्यक्तित्व एवं कृतित्व, पृ. 161 वही, पृ. 165 वही, पृ. 164 वही, पृ. 186 वही, पृ. 187 वही, पृ. 188
वही, पृ. 191 8. वही, पृ. 193 9. वही, पृ. 193
वही, पृ. 195
वही, पृ. 198 12. वही, पृ. 207