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इनके द्वारा स्वतन्त्र रूप से संपादित व विरचित पुस्तकों की तालिका इस प्रकार है :--
सती मृगावती
राजगृह समयसुन्दर रास पंचक
हम्मीरायण, उदारता अपनाइये
पद्मिनी चरित चौपई सीताराम चरित्र
विनयचन्द्र कृति कुसुमांजली जीवदया प्रकरण काव्यत्रयी
सहजानन्द संकीर्तन बानगी
पावापुरी श्री जैन श्वेताम्बर पंचायती मन्दिर, कलकत्ता का सार्द्ध शताब्द नाहटावंश प्रशस्ति (संस्कृत)
अप्रकाशित साहित्य निम्नलिखित है :-- चन्द्रदूत
कीर्तिकला (अनुवाद) द्रव्य परीक्षा (अनुवाद)
नगरकोट प्रशस्ति (अनुवाद) अलंकार दप्पणं (अनुवाद)
सागरसेठ चौपई । इनके अतिरिक्त इनकी शताधिक कहानियां, संस्मरण तथा फटकर मालोचनात्मक लेख अनेकों पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। आजकल आप 'कुशल निर्देश' मासिक पत्रिका का संपादन कर रहे हैं। 73. महोपाध्याय विनयसागर
फलौदी (जोधपुर) निवासी श्री सुखलाल जी झाबक के घर सन् 1929 में इनका जन्म हुआ। बाल्यावस्था में ही इन्होंने खरतरगच्छीय श्री जिनमणिसागरसूरि जी के पास दीक्षा ग्रहण की। वैचारिक क्रांति के कारण सन् 1956 में साधवेष का त्याग कर गृहस्थ बने। शिक्षा के क्षेत्र में इन्होंने साहित्य महोपाध्याय, साहित्याचार्य, जैन दर्शनशास्त्री, साहित्यरत्न (संस्कृत) और शास्त्र विशारद आदि उपाधियां प्राप्त की हैं। ये प्राकृत, संस्कृत, अपभ्रंश, राजस्थानी और गुजराती भाषा के विद्वान्, प्राचीन लिपि पढने में निपुण, जन साहित्य के अच्छे निष्णात और पत्रकार हैं। इनके गंवेषणा पूर्ण अनेकों लेख पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। इनके द्वारा सम्पादित व लिखित निम्न पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं:
सनत्कुमारचक्रि चरित्र महाकाव्य संघपति रूपजी वंश प्रशस्ति नेमिदूत खरतरगच्छ का इतिहास हैमनाममालाशिलोषछ सटीक चतुर्विंशति जिन स्तवनानि महावीर षट् कल्याणक पूजा शासन प्रभावक प्राचार्य जिनप्रभ और उनका साहित्य वल्लभ भारती
वृत्तमौक्तिक, अरजिनस्तव, प्रतिष्ठा लेख संग्रह प्रथम भाग, महोपाध्याय समयसुन्दर, चतुर्विंशति, जिनस्तुतयः भावारिवारण पादपूादि स्तोत्र संग्रह खंड प्रशस्ति टीकाद्वय सहित, खरतरगच्छ साहित्य सूची सौभाग्य पंचम्यादि संस्कृत पर्वकथा संग्रह
74. महताब चन्द खारेड
इनका जन्म वि. सं. 1960 में जयपुर में हुआ। इनके पिता का नाम जौहरी सुजानमल जी खारेड श्रीमाल था। ये संस्कृत, हिन्दी और डिंगली (राजस्थानी