Book Title: Rajasthan ka Jain Sahitya
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Devendraraj Mehta
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ग्रन्थ नाम
पृष्ठकि
ग्रन्थ नाम
पृष्ठांक
सुभाषितार्णव 112
स्तवन रत्न 70 सुभौम चक्रवर्ति रास 204
स्तवन रत्न मंजुषा 291 सुमइनाह चरिय 14
स्तवनादि संग्रह 289 सुमति कुमति को चौढालियो 196
स्थानाङ्ग (ठाणांग) 1, 6, 55 सुमति चरित्र 196
स्थानाङ्ग सूत्र नाथागत त्ति 68 पमित्र कुमार रास 173
स्थूलिभद्र कवित्त 170 सुमित्र चरित्र 73
स्थलिभद्र गुणमाला काव्य 70, 77, 119:120 सूरपिता का दोहा 183
स्थूलिभद्र छत्तीसी 272 सुरसुन्दर चौपई 174,270
धमाल 270 सुरसुन्दरी 292
नाटक 291 सुरसुन्दरी चरिय 16, 21, 31
फाग 169 सुरसुन्दरी रास 178
रास 167, 175 सुरादेव श्रावक 292
मज्झाय 177 सुलोचना चरित्र 114
स्ताव पवाशिका 230 सुषेण चरित 114
स्नात्र पूजा सानुवाद 293 सक्ति द्वात्रिशिका विवरण 75
स्मृति विज्ञान 354 सूक्तिमुक्तावली 60, 77
स्वयम्भूच्छन्द 128 सुक्ति रत्नावली स्वोपज्ञ टीका 71
स्वयम्म स्तोत्र 91 सूक्ति संग्रह 45, 72
", अनुवाद 320 सूक्ष्मार्थ विचार पारोद्धार 64
स्थाद्वाद मुक्तावली 70 सत्रकृतांग (गुयाडांग) 2,3
स्थाद्वादानभवरलाकर 23 चणि 10
स्पन सप्ततिका 61 टीका 10
टीका 75 दीपिका 71
स्वप्न सामद्रिक शास्त्र 284 नियुक्ति ।
स्वरूप सावन-वृत्ति 11 ! , बालायबोध 229
स्वरूपानन्द 248 सूरजप्रकाश 182
स्थरादय 283 सूरपण्णत्ति 6
, भाषा 278 सुरिमन्त्रकल्प 66
सार 288 सुरिमन्त्र वहत्कल्प विवरण 65
स्वणगिरि पाश्वजिनस्ताव so सूर्यप्रज्ञत्ति ?
स्वात्मसम्बोध 73 निर्यवित 9
स्वामी कातिकवानप्रेक्षा भाषा 2.2 सेठ धन्ना चरित 262, 325 सेठ सुदर्शन 184 सोजत वर्णन गजल 283 सोलह कारण पूजा 105, 108
हनमत रास 20, 209 सोलह कारण भावना 321
हम्मीर महाकाव्य 122,123,291 सोलह कारण रास 105, 203, 204, 208 हमीर रासा सार 289 सोलह सती की सज्झाय व चौपई 182 हम्मीरायण 296 सौन्दर्य दर्शन 263, 366
हविजय 119 सौभाग्य पंचमी कथा 79
हरिकेशी मनि चरित 189 सौभाग्य पंचम्यादि संस्कृत पर्वकथा संग्रह 296 हरिकेशी सन्धि 174, 178 सौभाग्य लक्ष्मी स्तोत्र 283
हरिबल 289
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