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पाठ्यक्रम साहित्य:
1. नैतिक पाठमाला-मूनि नथमल:-प्रस्तुत कृति स्कूलों में नैतिक शिक्षा के अन्तर्गत 11 वीं कक्षा के लिए लिखी गई पाठ्य पुस्तक है। इसमें नैतिकता के मूलभूत तथ्यों को रोचक कथानकों, संस्मरणों तथा संवादों से प्रस्तुत किया गया है, जिससे विद्यार्थी उन्हें सहजतया अपना सके ।
2. नैतिक पाठमाला-मुनि सुखलाल:-प्रस्तुत कृति स्कूलों में नैतिक शिक्षा के अन्तर्गत 7 वीं कक्षा के लिए लिखी गई पाठ्यपुस्तक है।
3. नया युग नया दर्शन-मुनि नगराज:-प्रस्तुत पुस्तक अणुव्रत विशारद द्वितीय वर्ष के पाठ्यक्रम में निर्धारित थी। इसमें धर्म, संस्कृति, विज्ञान, शिक्षा आदि जीवन के मूलभूत विषयों को वर्तमान के संदर्भ में सजगता से खोला गया है।
4. नैतिक विज्ञान-मुनि नगराज:-प्रस्तुत पुस्तक नैतिक प्रशिक्षण की दृष्टि से लिखी गई है। इसमें ह्रदय स्पर्शी उदाहरणों के द्वारा नैतिकता का विश्लेषण किया गया है। अणुव्रत परीक्षा के प्रथम वर्ष की यह पाठ्यपुस्तक है।
5. धर्मबोध भाग-1, 2, 3-मुनि नथमल:-प्रस्तुत तीनों कृतियां जैन धर्म के पाठ्यक्रम की पाठ्य पुस्तकें हैं। इनमें जैन धर्म, दर्शन, संस्कृति, सभ्यता परम्परा, तत्व विद्या आदि का ज्ञान क्रमशः कराने का प्रयत्न किया गया है। इनमें जैन कथानक, जैन साहित्य आदि के भी पाठ हैं। धार्मिक क्रियाओं के प्रति बच्चों का सहज आकर्षण हो, इसको ध्यान में रखते हए मनोवैज्ञानिक ढंग से तत्वों का प्रतिपादन किया गया है।
6. आत्मबोध भाग-1 व 2-मुनि किशनलाल, आत्मबोध भाग-3, 4-मनि सुदर्शनःप्रस्तुत चार पुस्तक महासभा धार्मिक पाठ्यक्रम में पाठ्यपुस्तक के रूप में निर्धारित थी। इसमें विविध लेखकों की जैन दर्शन और तेरापन्थ संप्रदाय सम्बन्धी सामग्री संकलित है।
प्रवचन साहित्यः--
1. प्रवचन डायरी भाग-1-आचार्य तुलसी:-प्रस्तुत ग्रन्थ प्राचार्य तुलसी के ई. सन् 1953 के प्रवचनों का संग्रह है। प्रवचनों में विविध विषय है, उन विविधताओं का लक्ष्य एक ही है जीवन निर्माण। जीवन निर्माण की दिशा में दिए गए ये प्रवचन मानव समाज को एक नया दिशा संकेत देते हैं।
2. प्रवचन डायरी भाग-2-प्राचार्य तुलसी:-इसमें प्राचार्य तुलसी ई. सन् 1954 के 163 और ई. सन् 1955 के 158 प्रवचनों का संग्रह है। प्रवचनों के नीचे दिनांक और स्थान का उल्लेख किया गया है ।
3. आचार्य श्री तुलसी के अमर संदेश:-प्रस्तुत पुस्तक में आचार्य तुलसी के विभिन्न अवसरों पर दिए गए प्रवचनों का संग्रह है। प्रस्तुत पुस्तक स्वतन्त्रता, शान्ति और मानवता के नव निर्माण में एक मूल्यवान विचार निधि है।
4. पथ पाथेय-सं. मुनि श्रीचन्द्र:-प्रस्तुत कृति प्राचार्य तुलसी के प्रवचनों के विचार बिन्दुओं का संकलन है। गद्य काव्य के रूप में चुने गए ये विचार विषय क्रम से हैं तथा इनमें