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कल्पना की इन्द्रिय-ग्राह्यता की भाँति ही बिम्ब भी विभिन्न ज्ञानेन्द्रियों, जैसे— चक्षु, घ्राण, श्रवण, स्पर्शन और आस्वाद आदि से निर्मित होते हैं। युगचेता महाकवि आचार्य जिनसेन द्वारा प्रस्तुत बिम्बों के अध्ययन से उनकी प्रकृति के साथ युग की विचारधारा का भी पता चलता है। कुल मिलाकर 'बिम्ब' एक प्रकार का रूप-विधान है और रूप का ऐन्द्रिय आकर्षण ही किसी कवि या कलाकार को बिम्ब-विधान की ओर प्रेरित करता है। रूप-विधान होने के कारण ही अधिकांश बिम्ब दृश्य अथवा चाक्षुष होते हैं। ___ महाकवि आचार्य जिनसेन द्वारा आदिपुराण के चतुर्थ पर्व में वर्णित जम्बूद्वीप के 'गन्धिल' देश का बिम्ब-विधान द्रष्टव्य है :
यत्रारामा: सदा रम्यास्तरुभि: फलशालिभिः। पथिकानाह्वयन्तीव परपुष्टकलस्वनैः ।। यत्र शालिवनोपान्ते खात् पतन्तीं शुकावलीम् । शालिगोप्योऽनुमन्यन्ते दधतीं तोरणश्रियम् ।। मन्दगन्धवहाधूता: शालिवप्राः फलानताः । कृतसंराविणो यत्र छोत्कुर्वन्तीव पक्षिण:।। यत्र पुण्ड्रेक्षुवाटेषु यन्त्रचीत्कारहारिषु । पिबन्ति पथिका: स्वैरं रसं सुरसमैक्षवम् ।।
-(श्लोक संख्या 59, 61-63) अर्थात् जिस देश के उद्यान फलशाली वृक्षों से सदा रमणीय बने रहते हैं तथा उनमें कूकती कोकिलें अपने मधुर स्वरों से पथिकों का आह्वान करती-सी लगती हैं।..... जिस देश में फसल की रखवाली करनेवाली स्त्रियाँ धान के खेतों में आकाश से उतरने वाले तोतों के झुण्ड को हरे रंग की मणियों का तोरण समझती हैं। खेतों में पके फलों के बोझ से झुकी धान की बालियाँ जब मन्द-मन्द हवा से झलझलाती हुई हिलती हैं, तब वे ऐसी लगती हैं, जैसे पकी फसल खाने को आये पक्षियों को उड़ाकर भगा रही हैं। और, जिस देश में रस पेरने वाले कोल्हू की चूँ-चूँ आवाज से मुखरित ईख के खेतों में जाकर पथिक मीठे इक्षुरस का पान करते हैं।
प्रस्तुत सन्दर्भ से गन्धिल देश के कई भावचित्रों का विनियोग हुआ है। प्रथम चित्र में फलशाली वृक्षों द्वारा कोकिलों की कूक के माध्यम से पथिकों को आवाज देकर बुलाने के भाव का अंकन हुआ है। इसमें मनोरम गतिशील चाक्षुष बिम्ब के साथ ही कोकिल की कूक जैसे श्रवण बिम्ब में दृश्य के सादृश्य. के आधार पर रूप-विधान तो हुआ ही है, उपमान या प्रस्तुत के द्वारा भी वानस्पत्य बिम्ब का हृदयस्पर्शी निर्माण हुआ है। इसमें वास्तविक और काल्पनिक दोनों प्रकार की अनुभूतियों से निर्मित सौन्दर्यबोधक बिम्ब सातिशय कला-रुचिर है।
प्राकृतविद्या जुलाई-सितम्बर '2000
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