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पंचाचार-युक्त कहा है। और तीनों को युगपत् प्रणाम किया है। तथा इसके पश्चात् तीनों को अलग-अलग भी नमस्कार किया है ।
प्रस्तुत मंगलाचरण में आगत अन्य विशिष्ट तथ्य
आचार्य कुन्दकुन्द ने पंचपरमेष्ठियों को नमस्कार करने के उपरांत सभी को पृथक्-पृथक् भी नमस्कार किया है । वे आगे लिखते हैं कि मनुष्य-क्षेत्र में विद्यमान अरिहंतों को नमस्कार हो, इससे स्पष्ट हो जाता है कि उन्होंने विदेह - क्षेत्र में विद्यमान बीस तीर्थंकरों को भी नमस्कार किया है।
एक विशेष बात यह भी है कि उन्होंने आचार्य परमेष्ठी के स्थान पर 'गणधर ' शब्द का प्रयोग किया है। चूंकि जैन - परम्परा में 'गणधर' शब्द 'तीर्थंकर के प्रधान शिष्य' के रूप में अर्थ रूढ़ है; अत: यहां यह भ्रम संभव है कि आचार्य ने अन्य आचार्यों को प्रणाम न करके मात्र गणधर को ही प्रणाम किया है, लेकिन ऐसा नहीं है । यहाँ प्रयुक्त 'गणधर' शब्द आचार्य का ही वाचक है, क्योंकि 'गण' का अर्थ 'समूह' या संघ' है और उस समूह को धारण करनेवाला संघपति 'आचार्य' ही होता है । अत: 'गणधर ' पद के द्वारा समस्त आचार्यों को ही नमस्कार किया गया है।
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एक विशेष बात और देखने को मिलती है कि सामान्यतः मंगलाचरण के अंत में ग्रंथकार ग्रंथ या उसके विषय के बारे में उल्लेख करता है, किंतु यहां कुन्दकुन्द ने अपने भविष्य की कार्य-योजना का संकेत कर एकदम नई परम्परा का सूत्रपात किया है। अंत में वे कहते हैं कि “विशुद्ध ज्ञानदर्शन ज्ञान - प्रधान आश्रम को प्राप्त करके मैं साम्यभाव को प्राप्त करूँ, जिससे निर्वाण की प्राप्ति होती है”
“तेसिं विसुद्ध - दंसण - णाण - पहाणासमं समार्सेज्ज । उवसंपयामि सम्मं जत्तो णिव्वाण-संपत्ती । ।”
लेकिन सूक्ष्म से विचार करने पर स्पष्ट हो जाता है कि यहां भी आचार्य ने ग्रंथ के वर्ण्य विषय का ही संकेत दिया है, न कि वैयक्तिक योजना का । और इससे मंगलाचरण के पांचवे उद्देश्य - 'उद्देश- कथन' की भी पूर्ति होती है। क्योंकि निर्वाण की प्राप्ति के लिये यही मार्ग उत्तम है, और इसी का प्रतिपादन इस ग्रंथ में किया गया है ।
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कषाय व नोकषाय अशुभमन है
“ रागो दोसो मोहो, हास्सादी णोकसाय परिणामो ।
थूलो वा सुमो वा असुहमणो त्ति य जिणा विंति । । ”
- (आचार्य कुन्दकुन्द, बारसअणुर्वेक्खा, 52 ) अर्थ :- राग, द्वेष, मोह एवं हास्यादि नोकषाय के स्थूल अथवा सूक्ष्म परिणामों वाला जीव 'अशुभमनवाला' है - ऐसा जिनेन्द्र भगवान् का कथन है ।
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प्राकृतविद्या + जुलाई-सितम्बर '2000