Book Title: Prakrit Vidya 2000 07
Author(s): Rajaram Jain, Sudip Jain
Publisher: Kundkund Bharti Trust

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Page 110
________________ रहा है, इसका फाउंडेशन के अधिकारी ध्यान रखेंगे । -रमेश जैन एडवोकेट ** राजस्थान हाईकोर्ट ने जैन - समुदाय को अल्पसंख्यक माना राजस्थान हाईकोर्ट ने 'जैन समुदाय' को राज्य में अल्पसंख्यक धार्मिक समुदाय माना है। हाईकोर्ट ने 16 सितम्बर को कहा कि इस समुदाय द्वारा संचालित व स्थापित शैक्षणिक संस्थान संविधान के अनुच्छेद 29 व 30 में प्रदत्त अधिकार प्रयोग करने में अधिकारी हैं। इस निर्णय से राजस्थान में भी जैन समुदाय को राज्य में अल्पसंख्यक का दर्जा हासिल हो जायेगा । राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर के न्यायाधीश राजेश बालिया ने इस संबंध में विजय शांति एजूकेशनल ट्रस्ट की याचिका को मंजूर कर लिया। ट्रस्ट के वकील महेन्द्र सिंह सिंघवी ने पैरवी की थी। न्यायाधीश ने कहा कि जैन समुदाय एक अलग धार्मिक समुदाय है। राजस्थान में उसकी जनसंख्या अल्प होने के कारण यह अल्पसंख्यक धार्मिक समुदाय की श्रेणी में आता है। अदालत ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा इस संबंध में अधिसूचना जारी करने या न करने भर से इस समुदाय को संविधान में दिये अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों से वंचित नहीं रखा जा सकता। दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायाधीश बालिया ने फैसला दिया कि सुप्रीमकोर्ट द्वारा प्रतिपादित सिद्धांत के अनुसार जो समुदाय किसी राज्य में अल्पसंख्यक है. उसके संविधान के अनुच्छेद 29 व 30 में उल्लेखित अधिकार प्राप्त है। सुप्रीम कोर्ट व दिल्ली हाईकोर्ट ने इस बाबत मान्यता प्रदान की है। केन्द्र सरकार द्वारा जारी अधिसूचना एक सीमित उद्देश्य के लिये है न कि अनुच्छेद 29 व 30 संबंधी अधिकार प्रयोग में लेने के लिये है । अदालत ने कहा कि सुप्रीमकोर्ट द्वारा सेंट स्टीफन के मामले में दिये फैसले के अनुसार याचिकाकर्ता अपने कॉलेज में पचास फीसदी सीटें अपने समुदाय के विद्यार्थियों के लिये आरक्षित रख सकता है। इसके लिये वह खुद परीक्षा आयोजित कर सकता है या राज्य सरकार द्वारा आयोजित परीक्षा में से इन छात्रों को ले सकता है 1 स्थानीय नेतृत्व ने जैन समुदाय से अपील की है कि जनगणना में धर्म के कालम में 'जैन' जरूर अंकित करवायें। उन्होंने राज्य सरकार से राज्य अल्पसंख्यक आयोग में जैन समुदाय का एक प्रतिनिधि मनोनीत करने की भी मांग की है। -सम्पादक ** श्रुत-संवर्द्धन वार्षिक पुरस्कार - 2000 समर्पण समारोह युवा उपाध्याय श्री ज्ञानसागर जी मुनिराज की प्रेरणा से स्थापित 'श्रुत संवर्द्धन संस्थान. मेरठ' द्वारा प्रवर्तित 'श्रुत संवर्द्धन वार्षिक पुरस्कार - 2000' का समर्पण समारोह अहिंसा स्थल, अलवर में आयोजित किया गया। 5 श्रुत संवर्द्धन पुरस्कारों में से प्रत्येक के अन्तर्गत रु० 31,000/- की नगद राशि, शाल, श्रीफल एवं प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया गया । 1. आचार्य शांतिसागर छाणी स्मृति श्रुत संवर्द्धन पुरस्कार - 2000 पं० नाथूलाल जैन शास्त्री, इन्दौर ( म०प्र०) ☐☐ 108 प्राकृतविद्या← जुलाई-सितम्बर '2000

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