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पुस्तक समीक्षा
(1) पुस्तक का नाम : पुण्यासव कथा (कोश) मूल लेखक : महाकवि रइधू सम्पादन एवं अनु० : प्रो० (डॉ०) राजाराम जैन प्रकाशक : श्री दिगम्बर जैन साहित्य-संस्कृति संरक्षण समिति, दिल्ली संस्करण : प्रथम, जनवरी 2000 ई0, 1000 प्रतियाँ मूल्य
: 75/- (शास्त्राकार, पक्की बाइंडिंग, लगभग 360 पृष्ठ) . आज प्राचीन आचार्यों एवं मनीषियों की रचनाओं का अनुसन्धान करके उन पर प्रामाणिक सम्पादन, अनुवाद कार्य करके प्रकाशित कराने वाले ठोस विद्वानों का प्राय: अभाव हो चला है। अपने नाम से पुस्तकें लिखकर समाज एवं प्रकाशन-संस्थानों से छपाने का ही कार्य विद्वत्ता एवं प्रकाशन के नाम पर जैनसमाज में मुख्यता से हो रहा है। ऐसे में एक वयोवृद्ध, यशस्वी एवं प्रामाणिक सुप्रतिष्ठित अनुसन्धाता विद्वान् की पवित्र लेखनी से सम्पादित एवं अनूदित होकर आनेवाली यह रचना निश्चय ही अत्यन्त बहुमान के योग्य है। ___ यश:काय विद्वान् प्रो० (डॉ०) राजाराम जैन वर्तमान चैन-विद्वत्परम्परा में पाण्डुलिपियों का प्रामाणिक सम्पादन व अनुवाद करनेवाले संभवत: सर्वाधिक अनुभवी एवं सुपरिचित हस्ताक्षर हैं। उनके लेखनी के संस्पर्श से प्रकाश में आने वाले प्राचीन अप्रकाशित साहित्य की एक यशस्वी परम्परा है, जिससे विद्वज्जगत् एवं जैनसमाज सुपरिचित है। महाकवि रइधू के साहित्य के बारे में तो आज के कॉपीराइट बाजार के वे एकमात्र सुयोग्य अधिकारी हैं। अब से लेकर चिरकाल तक जब भी रइधू कवि एवं उनकी रचनाओं पर चर्चा, लेखन आदि कुछ भी किया जायेगा, प्रो० (डॉ०) राजाराम जी के योगदान का प्रमुखता से उल्लेख किये बिना वह कार्य कभी भी पूर्ण नहीं माना जायेगा। । ___ अपभ्रंश भाषा में रचित महाकवि रइधू की इस विशालकाय रचना का विभिन्न पाण्डुलिपियों से प्रामाणिक सम्पादन एवं शब्द-अर्थ की सुसंगति से समन्वित अनुवाद प्रस्तुत होना इस संस्करण की श्रीवृद्धि करता है।
प्राकृतविद्या जुलाई-सितम्बर '2000
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