Book Title: Prakrit Vidya 2000 07
Author(s): Rajaram Jain, Sudip Jain
Publisher: Kundkund Bharti Trust

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Page 52
________________ महाविद्यालय विद्यार्थियों और विद्वानों के लिए कल्पवृक्ष' (इच्छित वस्तु प्रदान करनेवाला वृक्ष) हैं, जिनसे पीड़ित दुःखी निष्कासित छात्रों तथा विद्वानों का हित हुआ है। यदि बाई जी राजा भोज की तरह किसी राज्य की स्वामिनी होती हो, उनकी प्रेरणा व प्रयत्न से स्थापित कुछ विद्यालय अर्थाभाव के कारण बन्द नहीं होते। तीर्थोद्वार ___ बाई जी की प्रेरणा व सहयोग से वर्णीजी ने पिछड़े ग्रामीण क्षेत्रों व तीर्थ स्थानों में विद्यालयों व गुरुकुलों की स्थापना की, जिससे तीर्थस्थानों पर मन्दिर, छात्रावास व पुस्तकालयों व धर्मशालाओं का निर्माणकार्य हुआ। तीर्थस्थान आसावीय सुविधा सम्पन्न बनाये गये, जिससे भारतीय सांस्कृतिक धरोहर तीर्थ व पुरातात्त्विक महत्त्व के स्थलों की रक्षा का महान् व ऐतिहासिक कार्य भी उनके द्वारा सम्पन्न किया गया। ___ बौद्धिक विकास के साथ कर्मठता का पाठ पढ़ानेवाली इन ज्ञानप्रदायिनी संस्थाओं ने बुंदेलखण्ड ही क्या अज्ञान अंधकाराच्छन्न समस्त भारतवर्ष को ज्ञानरूपी सूर्य के प्रकाश से आलोकित किया। उदारता, दया की प्रतिमुर्ति बाई जी वर्णीजी ने कहा- "बाई जी के साथ में रहकर मैंने उदारता का गुण ग्रहण कर लिया, किन्तु उसकी रक्षा बाईजी की प्रेरणा से हुई - (मेरी जीवनगाथा पृष्ठ 387)।" बाई जी की ज्ञान के प्रति जागरुकता ही नहीं, बल्कि उनका व्यक्तित्व भी गरिमामय, गुणरूपी रत्नों का सागर था। बाई जी की प्रकृति सौम्य व उदार थी। उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन व धन ज्ञान के प्रचार-प्रसार के लिए विद्यालयों को समर्पित कर दिया। बाई जी के परिणाम बहुत कोमल थे, परदुःख-कातरता के कारण उनके सान्निध्य में बिल्ली जैसा हिंसक प्राणी भी अहिंसक हो गया। दूध-रोटी उनके साथ नित्य प्रति खाने लगी। बाई जी से प्रभावित होकर एक 10 वर्षीय अछूत मांसाहारी बालिका ने अपने सम्पूर्ण परिवार को शाकाहारी बना दिया। अपने पिता को मछली नहीं बेचने की प्रतिज्ञा दिलवाकर अहिंसक बना दिया। उनके जीवन की एक प्रेरणादायी घटना का यहाँ उल्लेख करती हूँ—एक बार वर्णी जी ने लकड़ी काटने वाले मजदूर को 2 आने कम दिये। जब बाई जी ने यह बात जानी तुरन्त वर्णी जी को एक सेर मिठाई व 2 आने पैसे देकर भेजा। 2 मील पैदल चलने के उपरान्त वह मजदूर मिला, बाई जी द्वारा दिये पैसे व सामग्री पाकर वह प्रसन्नता से उछल पड़ा।' ये छोटी-छोटी घटनायें उनके दयामयी उदार हृदय की विशालता का परिचय देती है। समता, धैर्य व दृढ़ता की प्रतिमूर्ति बाई जी ___ बाई जी के जीवन की प्रत्येक घटना हृदयस्पर्शी व अनुकरणीय हैं। बाई जी के 00 50 प्राकृतविद्या जुलाई-सितम्बर '2000

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