Book Title: Prakrit Vidya 2000 07
Author(s): Rajaram Jain, Sudip Jain
Publisher: Kundkund Bharti Trust

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Page 50
________________ विद्यालय के अधिष्ठाता बने। जो सेवा श्री सैय्यद अहमद के अलीगढ़ विश्वविद्यालय ने मुसलमानों की, पूज्य मालवीय जी के काशी विश्वविद्यालय ने वैदिकों की तथा पूज्य गांधी जी के विद्यापीठों ने सम्पूर्ण भारत की की है, वही सेवा 'श्री स्याद्वाद संस्कृत महाविद्यालय, ने जैनसमाज की की है। इस अकेली संस्था ने माँ चिरोंजाबाई की प्रेरणा को और उनके पुत्रवर्णी जी को अमर कर दिया। (2) काशी हिन्दी विश्वविद्यालय में जैनदर्शन व न्याय का अध्ययन :- भारतीय नवरत्न महामना मालवीय जी के काशी हिन्दू विश्वविद्यालय' में श्री गणेशप्रसाद जी वर्णी के विद्यागुरु अम्बादास जी शास्त्री संस्कृत विभाग के प्राचार्य बने। माँ चिरोंजाबाई से मार्गदर्शन प्राप्त कर वर्णी जी ने गुरु अम्बादास जी शास्त्री एवं तत्कालीन प्रधानमंत्री पं० जवाहरलाल नेहरू के पिता श्री मोतीलाल नेहरू जी की सहायता से हिन्दी विश्वविद्यालय में जैनदर्शन व न्याय का अध्ययन प्रारम्भ हुआ। भारतीय संस्कृति की परिचायक संस्कृत भाषा के प्रसार का एक बहुत बड़ा मार्ग प्रशस्त हुआ। (3) बुदेलखण्ड के केन्द्र-स्थान सागर में सतर्क सुधा तरंगिणी जैन पाठशाला की स्थापना वीर निर्वाण संवत् 2435 अक्षय तृतीया के दिन हुई, जिसके अधिष्ठाता श्री मूलचन्द्र जी बने। प्रारंभ की अनेक कठिनाईयों के बाद यह पाठशाला सागर में 'मोराजी' नामक स्थान पर 'श्री वर्णी दिगम्बर जैन संस्कृत महाविद्यालय, मोराजी' के नाम से विशाल भवन में सुचारु रूप से चल रही है। बुंदेलखण्ड क्षेत्र का सबसे अधिक उत्थान इसी महाविद्यालय के द्वारा हुआ है। इसकी सेवा चिरस्मरणीय है। माँ चिरोंजाबाई कहती थी- “मोराजी के विशाल प्रांगण में आज जब अनेक छात्र-छात्राओं को खेलते-कूदते देखती हूँ, तो हृदय हर्षातिरेक से भर जाता है।” (4) कटनी में पाठशाला की स्थापना हुई, जिसके अधिष्ठाता पं० जगन्मोहन लाल जी बने। (5) खुरई में वर्णी गुरुकुल' नामक महाविद्यालय की स्थापना हुई, इसके भी अधिष्ठाता पं० जगन्मोहन लाल जी बने। ___(6) जबलपुर में वर्णी गुरुकुल' नामक महाविद्यालय की स्थापना हुई, इसके अधिष्ठाता पं० जगन्मोहन लाल जी बने। (7) बीना (म०प्र०) में श्री नाभिनन्दन दिगम्बर जैन संस्कृत महाविद्यालय की स्थापना हुई। (8) द्रोणगिरि (म०प्र०) तीर्थक्षेत्र पर 'श्री गुरुदत्त दिगम्बर जैन पाठशाला' खुली। (9) पपौरा (म०प्र०) तीर्थक्षेत्र पर श्री वीर विद्यालय' बना। (10) पठा ग्राम (म०प्र०) श्री शांतिनाथ विद्यालय तथा साढूमल, मालथौन, मडावरा आदि स्थानों में विद्यालयों की स्थापना हुई। . 00 48 प्राकृतविद्या जुलाई-सितम्बर '2000

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