Book Title: Prakrit Vidya 2000 07
Author(s): Rajaram Jain, Sudip Jain
Publisher: Kundkund Bharti Trust

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Page 55
________________ अहिंसा ही विश्व में शांति का उपाय जैन -श्रीमती इन्दु भगवान् महावीर 26 सौवां जन्मकल्याणक महोत्सव महासमिति की राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष तथा 'टाइम्स ऑफ इण्डिया समाचार पत्र प्रकाशन समूह' की चेयरमैन श्रीमती इन्दु जैन द्वारा न्यूयार्क, अमेरिका में संयुक्त राष्ट्रसंघ द्वारा आयोजित धर्म एवं अध्यात्म-गुरुओं के 'सहस्राब्दी विश्वशांति सम्मेलन' में दिया गया भाषण । -सम्पादक भगवान् महावीर गहन ध्यान की मुद्रा में तल्लीन थे, उनकी आंखें बंद थीं। चारों ओर एक अद्भुत शांति और पवित्रता का वातावरण व्याप्त था । एक नन्हीं-सी चिड़िया उड़ती हुई वहाँ आई और फुदकती हुई भगवान् के पास जा बैठी। जब भगवान् ने आँखें खोलीं, तो उस स्पन्दन से नन्हीं चिड़िया डर गयी और उड़ गई। महावीर ने सोचा कि मनुष्य की आँखें खोलने की क्रिया में भी हिंसा छुपी है । 'अहिंसा' का अर्थ केवल यह नहीं है कि हिंसा न हो; बल्कि भय की भावना का भी समाप्त हो जाना और सम्पूर्ण मानवता को प्रेम में आबद्ध कर लेना है । ‘अहिंसा' का अर्थ है— जाति, रंग, वर्ण, धर्म, लिंग, बिरादरी, समुदाय यहाँ तक कि प्राणी जगत् की विभिन्न जातियों की भेद- सीमाओं को पार कर दूसरों तक पहुँचना । यह चेतना की एक स्वतंत्र अवस्था है । हमारी शारीरिक, भावनात्मक और बौद्धिक अवस्थायें हमें सीमा में बांध देती हैं, हमारे रास्ते अवरुद्ध कर देती हैं, हमें छोटा बना देती हैं । यही हमारे दुःखों का कारण है। इन बंधनों और सीमाओं की अनुपस्थिति ही 'अहिंसा' है । 1 अहिंसा के लिए विश्व-अभियान छेड़ने की दिशा में पहला चरण अज्ञान को हटाना है | सच्चे ज्ञान में आत्म-बोध और आत्म-नियंत्रण निहित है । अहिंसा इस ज्ञान की चरम अवस्था है; क्योंकि यह दूसरों से अपने संबंधों का तादात्म्य करना सिखाती है। मोक्ष और निर्वाण की तरह अहिंसा भी परस्पर विरोधी सीमाहीन लौकिक नाटकों, सुख-दु:ख, आकर्षण-विकर्षण, प्रेम-घृणा, लाभ-हानि, सफलता-असफलता, अमीरी-गरीबी, भय - साहस, जय-पराजय, मान-अपमान, सम-विषम, गुण-दोष, अच्छा-बुरा, आजादी और बंधन से मुक्त है। संक्षेप में अहिंसा अतीत से, इतिहास से, स्मृति से मुक्ति है। यह उन सब चीजों से प्राकृतविद्या जुलाई-सितम्बर 2000 00 53

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