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प्राचीन जैन इतिहास। २
(५) भापके साथ खेलनेको स्वर्ग से देव माते थे और वहीसे सापके लिए वस्त्राभूषण माया करते थे।
(६) पच्चीससौ वर्ष तक माप कुमार भवस्था रहे, बादमें मापने पांच हजार वर्ष तक राज्य किया। भापका विवाह हुआ था।
(७) एक दिन अपने पूर्वमवोंका स्मरण कर उन्हें वैराग्य होभाया। उसी समय लौकान्तिक देवोंने भाकर स्तुति की और इन्द्र मादि मन्य देव माए । मिनी भाषाढ वदी दशमीके दिन एक हजार राजाओं के साथ साथ उन्होंने दीक्षा धारण की। देवोंने तपकल्याणक उत्सव मनाया । उन्हें उसी समय मनःपर्यय ज्ञान उत्सन्न हुमा ।
(८) एक दिन उपवास कर दूसरे दिन वीरपुर नगरके राजा दत्तके यहां आपने माहार लिया, तब देवोंने राजाके यहां पञ्चाश्चर्य किए।
(९) नौ वर्ष तक ध्यान करने के बाद जिस वनमें दीक्षा ली थी उसी वनमें बकुलवृक्ष के नीचे मगसिर सुदी पूर्णिमाको चार पातिया कर्मों का नाश कर केवलज्ञान प्राप्त किया, समवशरण सभाकी देवोंने रचना की और ज्ञानकल्याणक उत्सव मनाया। (१०) भापकी सभामें इसप्रकार मनुष्यजातिके सभासद थे
४५० पूर्वज्ञानके धारी १२६०० शिक्षक मुनि १६०० भवधिज्ञानी १५०० विक्रिया ऋद्धिके धारी १६०० केवलज्ञानी