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प्राचीन जैन इतिहास ।
तीसरा भाग ।
पाठ १ ।
भगवान नमिनाथ - इक्कीसवें तीर्थंकर ।
( १ ) भगवान मुनिसुव्रतनाथ के मोक्ष जाने के साठ लाख वर्ष बाद श्री नमिनाथ तीर्थंकरका जन्म हुआ ।
(२) आश्विन ( कुँवार) वदी द्वितीयाको आप गर्भमें आए। माता महादेवीने रात्रि के पिछले पहर में १६ स्वप्न देखे | इन्द्र तथा देवताओंने उनका गर्भकल्याणक उत्सव मनाया । गर्भ में आनेके छह मास पहिले से जन्म होने तक रत्नोंकी वर्षा हुई और देवियोंने माताकी सेवा की ।
( ३ ) आपका जन्म मिथिलानगरी के राजा विजयके यहां आषाढ वदी दशमीको तीन ज्ञान युक्त हुआ । आपका वंश इक्ष्वाकु और गोत्र काश्यप था ।
( ४ ) दश हजार वर्षकी आयु थी और पन्द्रह धनुष्य ऊंचा सुवर्णके समान शरीर था ।