________________
कोई संघर्ष मत बनाओ इसे जरा खयाल में ले लेना, यदि प्रेम और ध्यान का संघर्ष होता है तो ध्यान पराजित होगा। प्रेम विजयी होगा क्योंकि प्रेम बहुत सुंदर होता है। केवल प्रेम—पंखों पर चढ़कर ही विजयी हो सकता है ध्यान । प्रेम का वाहन की भांति प्रयोग करना ।
यही अर्थ करते हैं पतंजलि जब वे कहते हैं, साथ ही किसी उस चीज पर ध्यान करो जो तुम्हें आकर्षित करती हो। 'जो कुछ भी है वह; मैं नहीं बनाता कोई भेद । कोई जरूरत नहीं किसी एक विषय-वस्तु से चिपक जाने की क्योंकि विषय बदल सकते हैं। इस सुबह तुम अनुभव कर सकते हो ऐसा कि तुम प्रेम करते हो अपने बच्चे से और कल शायद तुम ऐसा अनुभव न करो, तो मत निर्मित कर लेना कोई संघर्ष सदा जान लेना उसे जहां तुम्हारा प्रेम प्रवाहित हो रहा हो और तैरते चले जाना प्रेम पर। आज वह कोई फूल होता है, कल हो सकता है कि कोई बच्चा हो, परसों वह होता है चांदसमस्या उसकी नहीं है। प्रत्येक चीज सुंदर है जहां कहीं तुम्हारा आकर्षण स्वाभाविक रूप से प्रवाहित होता हो, उस पर चढ़ कर बहना उस पर ध्यान करना जोर है संपूर्ण रहने पर अखंड रहने पर तुम्हारे अखंड अस्तित्व में ध्यान खिलता है।
इस प्रकार योगी हो जाता है सब का मालिक अति सूक्ष्म परमायु से लेकर अपरिसीम तक का
लघु से लेकर विशालतम तक सब का मालिक बन जाता है वह । ध्यान द्वार है अपरिसीम शक्ति का ध्यान द्वार है अतिचेतन का
तुम हो चेतन बढ़ो अचेतन की गहराइयों में यह होता है उतरना तुम्हारे अस्तित्व के तलघर में । अधिकाधिक जागरूकता एकत्रित करो ताकि तुम बढ़ सको निद्रा में, सपनों में आरंभ करना अपने जागने के समय जागरुकता एकत्रित करने से वह अचेतन में बढ़ने के लिए मदद देगी। ऊर्जा की जरूरत होगी। बिलकुल अभी तो तुम्हारी ऊर्जा एक टिमटिमाहट की भांति है पर्याप्त नहीं है। जागरूकता द्वारा ज्यादा ऊर्जा निर्मित करना ।
यह वैसा ही होता है जैसे कि जब तुम पानी गरम करते हो, या कि तुम बर्फ गरम करते हो। यदि तुम गरम करते हो बर्फ को तो वह पिघलती है। गरमी की एक निश्चित डिग्री पर वह पानी बन जाती है। फिर तुम्हें उसे ज्यादा गरम करना होता है यदि तुम चाहते हो कि वह वाष्पित हो जाये। तुम उसे गरम किये जाते हो और एक निश्चित तापमान पर सौ डिग्री पर अचानक वह छलांग लगाती है और परिमाणात्मक परिवर्तन बन जाता
भाप बन जाती है। परिमाणात्मकता बदल जाती है गुणात्मकता में
तापमान के पार हो वह बन ज
है गुणात्मक। एक निश्चित तापमान के नीचे वह होता है बर्फ, उस है पानी, उस तापमान से नीचे हो वह फिर बन जाता है पानी, उस
तापमान के पार हो वह वाष्पीभूत
हो जाता है, भाप बन जाती है जब वह बर्फ होता है, जो वह करीब-करीब मरा हुआ होता है और बंद