________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
स्तुत्य ग्रंथ
'ओसवंश : उद्भव और विकास' का प्रथम खण्ड 'जैनमत
और ओसवंश' जैनमत और ओसवंश के पारस्परिक सम्बन्धों की दृष्टि से एक अनूठा ग्रंथ है। मैं उभय बंधुओं - प्रेरक श्री चंचलमल जी लोढ़ा और लेखक डॉ. महावीर मल लोढ़ा के इस स्तुत्य प्रयास के लिये मंगल कामना करता हूँ।
ज्ञान मुनि
ब्यावर
% 3D
-
For Private and Personal Use Only