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महाराष्ट्र वाणीभूषण साध्वी श्री प्रीतिसुधाजी महाराज
औssसवाल है मोटो I किमकर रखणी अपणी शान ॥ सऽऽज्जन सत्पुरुषारो 1 आपा रखना किमकर मान || वाऽऽरी कर्तवगारी री 1 इतिहास ही रखसी याद ।। लऽऽक्षण सपूतरा है 1 ये ही, ताजो करे पुरानो स्वाद ॥ जात लिखो तो घणा रोब सु । सोचो आई कठा सू आ ॥
हसुआ मिली न्यात है । बात पूछो ला किण ने जा ॥ आप आपरी मूल जात रो । खोज निकालो भेद 11 सबसु प्रीत रखो हिरदासु । मेटो अंतर मन रा खेद ||
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साध्वी प्रीतिसुधा