Book Title: Multidimensional Application of Anekantavada
Author(s): Sagarmal Jain, Shreeprakash Pandey, Bhagchandra Jain Bhaskar
Publisher: Parshwanath Vidyapith
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अनेकान्तः स्वरूप और विश्लेषण
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वे “अहाबुइयाई सुसिक्खएज्जा'' यथोक्त शिक्षण प्राप्त करें। फिर पालन करें ज्ञान का, ज्ञान के अर्थ का। क्योंकि
“नाणं सया समणुवासिज्जासि' १७ ज्ञान पराक्रमी बनाता है, इसलिए उसकी आराधना करनी चाहिए।
ज्ञान आत्मा है, चैतन्य आत्मा का परिणाम है। उसके अन्वयी कारण का नाम उपयोग है। वह उपयोग साकार और अनाकर रूप है, ज्ञान-दर्शन रूप है। प्रमाण की व्युत्पत्ति-अनेकान्त की प्रतिपत्ति
"प्रमीयते परिच्छिद्यते वस्त्वनेन प्रमाणमिति व्युत्पपत्तेः ।१८
स्व-पर-व्यवसायि ज्ञानं प्रमाणमिति प्रकर्षेण संशयाभाव-स्वभावेन मीयते परिच्छिद्यते वस्तु येन तत्प्रमाणम् ।' १९
स्व-अपने स्वरूप और पर-अन्य पदार्थों का व्यवसाय निश्चय करने वाला ज्ञान प्रमाण है । जिसमें संशय, विपर्यय, अनध्यवसाय से रहित करके अर्थ को जाना जाता है, वस्तु तत्त्व की जानकारी प्राप्त की जाती है, वह प्रमाण है। "अनेकान्तप्रतिपत्तिः प्रमाणम्” जब यह सूत्र दिया जाता है, तो भलीभाँति यह तथ्य सामने आ जाता है कि
"प्रमाणं त्रिकालगोचर-सर्वजीवादि-पदार्थ-निरूपणम्' प्रमाण त्रिकाल गोचर है, समस्त पदार्थों का/ प्राणी मात्र का संरक्षक है, हितकारी है। आचारांग में इसलिए यह जिज्ञासा प्रस्तुत की गई कि 'संशय संसार है, संसार संशय है। ऐसी जिज्ञासा एक नई जागृति प्रस्तुत करता है।
अर्थविकल्पो ज्ञानं प्रमाणमिति'। २०
तद् यत: सम्पद्यते तत्प्रमाणम्। आदि व्युत्पत्ति अनेकान्त की उस अभिव्यक्ति को भी प्रस्तुत कर देती है, जिसमें “प्रधानीकृतबोध: पुरुष: प्रमाणम्' अर्थात् बोध की प्रधानता जहाँ होती है वह प्रमाण है। प्रमाण भेद-अनेकान्त के वचनात्मक प्रहरी
'ज्ञानात्मकं स्वार्थं, वचनात्मकं परार्थम्२१। ज्ञानात्मक प्रमाण को स्वार्थ प्रमाण कहते हैं और वचनात्मक प्रमाण को परार्थ प्रमाण कहते हैं। स्व को प्रकट करने वाला स्वार्थ है, स्व के अतिरिक्त अन्य अर्थ को प्रकट करने वाला परार्थ है। स्वार्थ या परार्थ पृथक्-पृथक् प्रमाण के विषय नहीं बन सकते हैं, स्वार्थ है, तो परार्थ भी रहेगा, परार्थ है तो स्वार्थ भी रहेगा। प्रमाण की परिभाषा में 'स्व-पर-व्यवसायि-ज्ञानम् ' द्वारा स्व और पर दोनों की सत्ता को महत्त्व दिया गया है। क्योंकि ये दोनों ही सम्यक् अर्थ के निर्णय करने वाले हैं।
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