Book Title: Multidimensional Application of Anekantavada
Author(s): Sagarmal Jain, Shreeprakash Pandey, Bhagchandra Jain Bhaskar
Publisher: Parshwanath Vidyapith

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Page 536
________________ अनेकान्तवाद एवं आधुनिक भौतिक विज्ञान 471 कह रहे हैं वह पानी एवं वासनाओं एवं बुराइयों से अन्य पदार्थों का संयोग है। परे है। ये वासनाएं आत्मा इस तथाकथित गंदे पानी के साथ होते हुए भी पृथक् में भी जो पानी उसका अण हैं।१५-१७ आत्मा संसार में (H,0) वैसा ही है जैसा भ्रमण कर रही है किन्तु की शुद्ध पानी का अणु। आत्मा की पवित्रता ज्यों पानी का अणु चाहे स्वच्छ की त्यों है। उसमें कोई पानी का लें या गन्दी नाली कमी नहीं हुई है। का, दोनों अणु एक जैसे ही होंगे। पानी के अणु में| गंदगी का अणु प्रवेश नहीं करता है। सारणी कं० ७ अवक्तव्यता में मार्ग विज्ञान अध्यात्म व्यावहारिक जीवन प्रकाश कण रूप होता| आत्मा कैसा है? उसके | एक ही व्यक्ति के दो है या तंरग की तरह है?| विभिन्न प्रदेश किस प्रकार | विरोधी रूप हमें जब दिखाई न्यूटन के समय से ही आपस में जुड़े हुए हैं कि | देते हैं तो हम कई बार इसका उत्तर खोजा जा रहा| आत्मा अखण्ड है? ज्ञान, परेशान हो जाते हैं। करोड़ों है। विवाद भी रहा है। आज| सुख आदि कई गुण किस | के दानी को भी कमी हम क्वाण्टम सिद्धान्त के प्रकार आत्मा में सर्वत्र एक | इस रूप में पा सकते हैं कि आधार के पर यह माना| साथ व्याप्त हैं? आत्मा में | वह व्यक्ति कंजूस लगे। अत: जाता है कि विवाद हल रूप नहीं है, रस नहीं है, | परेशानी से बचने के लिये हो गया है। यद्यपि प्रकाश| गन्ध नहीं है, स्पर्श नहीं | किसी भी व्यक्ति पर ऐसे का स्वरूप हम समझ गये| है तो इसे कैसे समझा | स्थायी लेबल नहीं लगाना हैं किन्तु साथ ही यह भी| जायें? चाहिए कि अमुक व्यक्ति समझ गये हैं कि इसका इन प्रश्नों के उत्तरों से | महादानी है या अमुक व्यक्ति स्वरूप शब्दों एवं चित्रों अधिक महत्त्वपूर्ण बात यह | महाकंजूस है। आज के से परे है। हम यह जान जानना है कि आत्मा का | मनोवैज्ञानिक १९ भी ऐसे गये हैं कि प्रकाश कण | विभिन्न परिस्थितियों में । | लेबल लगाने को बहुत Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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