Book Title: Multidimensional Application of Anekantavada
Author(s): Sagarmal Jain, Shreeprakash Pandey, Bhagchandra Jain Bhaskar
Publisher: Parshwanath Vidyapith

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Page 537
________________ 472 Multi-dimensional Application of Anekantavāda रूप भी है व तरंग रूप | व्यवहार क्या है। चींटी | बड़ी गलती बताते हैं। भी है, दोनों रूप भी है | में आत्मा चींटी के | अत कोई व्यक्ति व दोनों रूप नहीं भी है। | आकार की तो वही आत्मा | क्षमाशील है या क्रोधी है प्रकाश कदाचित् अवक्तव्य | हाथी में हाथी के आकार | ऐसे प्रश्न के बदले भी है। की हो जाती है। यह महत्त्वपूर्ण यह जानना है ___ यही बात इलेक्ट्रॉन | जानना आत्मा के व्यवहार कि इन परिस्थितियों में आदि अन्य सूक्ष्म कणों को जानने का एक अमुक व्यक्ति के क्रोधी होने के बारे में कही जा | उदाहरण है। की संभावना अधिक है, सकती है। ___'आत्मा बाहरी पदार्थों व किन परिस्थितियों में __इस स्थिति से से ध्यान हटाकर आत्मा अमुक व्यक्ति के शान्त बने वैज्ञानिक अब परेशान नहीं | में लीन हो जाये तो आत्मा | रहने की संभावना है। भी हैं। वैज्ञानिक यह कहते | के साथ रहने वाले दुःख, हैं कि इसका उत्तर वासनाओं आदि का क्षय महत्त्वपूर्ण नहीं है. कि | हो जाता है।' (देखिये : प्रकाश क्या है ? | फुटनोट कं. १८) यह महत्त्वपूर्ण यह जानना है | जानना भी आत्मा के कि किस परिस्थिति में व्यवहार को जानने का प्रकाश क्या व्यवहार | एक उदाहरण है। करेगा। सारणी कं०८ कौन साधक? कौन बाधक? अध्यात्म | व्यावहारिक जीवन लोहा पानी में तैरता भी | शरीर आत्मा के पतन । लाभ समझकर किसी है (उदाहरण-जहाज) एवं | में भी सहायक हो सकता | वस्तु में बहुत आसक्त भी लोहा पानी में डूबता भी है | है व वही शरीर आत्मा | रहे हैं तो बहुत कुछ क्षण (उदाहरण - लोहे की | के विकास में भी सहायक के लिये उसका दूसरा पक्ष कील)। हो सकता है। भी विचार करें। इसी प्रकार इसी प्रकार (दूरी के जिसे हानिकारक समझकर आधार पर) एक प्रोटॉन बहुत नफरत कर रहे हों दूसरे प्रोटॉन को अपनी ओर तो उसका भी दूसरा पक्ष आकर्षित भी करता है एवं सोचकर साम्यभाव धारण प्रतिकर्षित भी करता है। करने का प्रयास करें। विज्ञान Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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