Book Title: Multidimensional Application of Anekantavada
Author(s): Sagarmal Jain, Shreeprakash Pandey, Bhagchandra Jain Bhaskar
Publisher: Parshwanath Vidyapith
View full book text
________________
354
Multi-dimensional Application of Anekāntavāda
उसको संभावित सत्य कहते हैं। इस प्रकार सत्य, असत्य आदि विभिन्न आयाम हैं यहाँ हमें देखना यही है कि सप्तभंगी में इस तरह का सत्यता मूल्य प्राप्त होता है अथवा नहीं।
संभाव्यता तर्कशास्त्र में एक ऐसा सिद्धान्त है, जिसमें सप्तभंगी जैसी प्रक्रिया का प्रतिपादन किया गया है। उसमें A, B और C तीन स्वतन्त्र घटनाओं के आधार पर चार सांयोगिक घटनाओं का विवेचन किया गया है। जिस प्रकार सप्तभंगी में अस्ति, नास्ति और अवक्तव्य के संयोग से चार योगिक भंग प्राप्त किये गय हैं, उसी प्रकार संभाव्यता तर्कशास्त्र में A, B और C तीन स्वतन्त्र घटनाओं से चार युग्म घटनाओं को प्राप्त किया गया है, जो इस प्रकार हैं
P (AB) = P (A). P (B) P (AC) = P (A). P (C) P (BC) = P (B). P (C) P (ABC) = P (A). P (B). P(C)
यहाँ P संभाव्य और AB और C तीन स्वतन्त्र घटनायें हैं। यद्यपि सप्त भंगी के सभी भंग न तो स्वतन्त्र घटनायें हैं और न सप्तभंगी का स्यात् पद संभाव्य ही है, तथापि सप्तभंगी के साथ उपर्युक्त सिद्धान्त की आरिक समानता का है।इसलिए यदि उक्त सिद्धान्त से “आकार'' ग्रहण किया जाय तो सप्तभंगी का प्रारूप हू-बहू वैसा ही बनेगा जैसा कि उपर्युक्त सिद्धान्त का है । यदि सप्तभंगी के मूलभूत भंगों, 'स्यादस्ति, स्यान्नास्ति और स्यादवक्तव्य को क्रमश: A, ~B और ~C तथा परिमाणक रूप "स्यात्' पद को (और च को डाट (.) P से प्रदर्शित किया जाय तो सप्तभंगी के शेष चार भंगों का प्रारूप निम्नवत् होगास्यादस्ति च नास्ति
= P (~B) = P (A). P (~B) स्यादस्ति च अवक्तव्य
= P (AMC) = P (A). P (C) स्यान्नास्ति च अवक्तव्य = P (~B~C) = P (~B). P (~C) स्यादस्ति च नास्ति च अवक्तव्य = P (A~B~C) = P (A). P
(~B). P(C) इस प्रकार सम्पूर्ण सप्तभंगी का प्रतीकात्मक रूप इस प्रकार होगा - १. स्यादस्ति
= P (A) २. स्यान्नास्ति
= P (~B) ३. स्यादस्ति च नास्ति = P (A. ~B) ४. स्यात् अवक्तव्य
= P (~C)
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org