Book Title: Multidimensional Application of Anekantavada
Author(s): Sagarmal Jain, Shreeprakash Pandey, Bhagchandra Jain Bhaskar
Publisher: Parshwanath Vidyapith

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Page 533
________________ 468 Multi-dimensional Application of Anekāntavāda शरीर के जनक, परिवार के सदस्य, स्याही, स्याही के निर्माता,... आदि सभी सहयोगियों पर विचार करें तो लेख लिखने का अहंकार बहुत कम हो सकता है। कथन बन सकते हैं१. आवाज ट्रांजिस्टर के पुों से निकल रही है। उसमें गायिका लतामंगेशकर को शेय बिलकुल नहीं है। यदि ट्रांजिस्टर का एक भी पुर्जा खराब हो जाये तो गाना सुनाई नहीं देगा। २. आवाज गायिका लता मंगेशकर की है। उसमें ट्रांजिस्टर को श्रेय नहीं है। यदि वह गाना रेडियो स्टेशन से रिले नहीं होता व उस गाने की तंरगें ट्रांजिस्टर में प्रवेश न करतीं तो ट्रांजिस्टर कितना ही अच्छा क्यों न हो उससे वह गाना नहीं निकलता। ३. ट्रांजिस्टर के बजने में श्रेय ट्रांजिस्टर को भी है व रेडियो स्टेशन की तरंगों को भी है। सारणी क्रं. ५ बंधन अध्यात्म विज्ञान । | व्यावहारीक जीवन हाइड्रोजन के एक | संसारी जीव के साथ | हम अपने आपको कई परमाणु में एक प्रोटॉन | कर्म होते हैं। किसी अपेक्षा | बंधनों से जकड़ा अनुभव एवं एक इलेक्ट्रॉन होता | यह कहा जा सकता है | करते हैं। यह मानकर कि है (चित्र क्रं. २) इसके | कि आत्मा ने कर्म बांधे । समय की कमी है, धन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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