Book Title: Muhpatti Charcha
Author(s): Padmasenvijay, Kulchandrasuri, Nipunchandravijay
Publisher: Jinshasan Aradhana Trust

View full book text
Previous | Next

Page 10
________________ पंजाब देशमें एक दुलुया गाम छे सरंदवसीके पास, कोस चार पांच हेलुदेहाणेकी तर्फ, बलोलपुरमें सात आठ कोस हे दक्षिणकी तर्फ । तिस दुलूया गामके विषे एक 'गाथापति पट्टेल रहेता था । पटेल किसको कहिं ? जे गामका चोधरी होवे ते, तथा गुजरात देशमें कुणबी कहे छे, तथा पंजाबदेसमें जाट कहे छे तथा सिंघ कहे छ । तिस गाममें एक जाट वसैथा । उसका नाम टेकसिंघ हुता' । तिसका गोत्र गिल तथा झली हुता । तीसकी स्त्रीका नाम कर्मो था । जंगल देशमें जोधपुर गामछे उहांकी बेटीथी । उसका गोत्र मान था । घरमें तो काल मुजब 'अछेथे परंतु वेटा होवेथा सो पंदरा सोला दिनके अंदर २ मर जावेथा । उस गाममें एक साधु आय गया । तिसको पुछया-साधुजी हमारे पुत्र होवे छे पिण दस पांच दिनका होय के मर जावे छे । कोइ जीवेगा के नहीं ? आप कृपा करके कहो जिस बातमें हमारेको संतोष आवे । तब साधुजीने कह्या-तुम फिकर मत करो । तुमारे घर अब बेटा होवेगा सो जीवता रहेगा परंतु ... ____ छोटी १०उंवरमें दीक्षा ले जावेगा । परंतु ते साधु जैन के लिंगमें नहीं था । 'अन्न लिंगके वेषमें था । मेरे माता पिता जैनी नही थे । इसि बात को ज्ञानी जाणे क्या १२बरतंत था परंतु उसका कथन बहुलता सत्य हुआ । एह बात में मेरी माता पासे सांभली'३ छे । तत्त्व ज्ञानी कहे ते प्रमाण । तव स्त्री भरतार दोनो बोले- हमारे पुत्र जीवता रहे । साधु हो जावे तो अछी बात हे । इम कही साधुजी तो चला गया । केटलाक काल गया पीछे आसरे संवत १८६३ के सालह मारा जन्म हुआ । ते साधुने कह्या था बेटा का नाम टलसिंघ राखजो । उसके आगे टल के० "वाजित्र बाजैगें । जब मेरा जन्म हुवा माता पिता ने मेरा नाम टलसिंघ धर्या, पिण ते नाम घणा प्रसिद्ध नहि होया तथा हमारे गाममां मेरा नाम दलसिंघ थया । फेर५ हम १६बीजे ग्राम जाय बसे । उस गाममें मेरा नाम बूटा पड गया । सो अब लग छे । जब हम सात आठ वरस का हुआ तब मेरा पिता तो काल बस हो गया । जब में पंद्रा सोला वरस का थया । मेरे को शुभ कर्म के जोरे भोग वासना १ गृहस्थ । २ बसता था । ३ था । एवं सर्वत्र । ४ वहाँ की । ५ अच्छा था । ६ होता था । ७ जाता था । ८ जीयेगा । ९ जीन्दा । १० उम्र में । ११ अन्य । १२ हकीकत । १३ सुनी है । १४. बाजे बजेंगे । १५ फिर । १६ दूसरे । १७ हुआ । मोहपत्ती चर्चा * २

Loading...

Page Navigation
1 ... 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 ... 206