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भूखा गांव
लेना चाहते थे। इसीलिए उन्होंने उस दिन भी अपनी रोटियोंका संग्रह घटाना ठीक न जान कर दूधकी चोरी की थी।
सबके पास रोटियोंका एक समान संग्रह हो जाय, यह एक अति कठिन-साध्य बात थी, क्योंकि कोई भी अपने संग्रहकी सच्ची थाह देनेके लिए उद्यत नहीं था।
राजाने मंत्रियोंसे परामर्श किया, पर कोई भी संतोषजनक संशोधन प्रस्तुत न कर सका। अन्तमे एक अन्य दरबारीने इस समस्याको सुलझानेका भार अपने ऊपर लिया। ___ अगले दिन वह एक दिनकी आवश्यकता भरको रोटियां लेकर उस गांवमें पहुँचा और लोगोंके घरोंमे रोटियाँ बाँटनेके बदले उसने उन्हे आदेश दिया कि वे सब गाँवके बड़े मैदानमें ज्योनारकी पंगत बनाकर बैठ जाँय । उसने यह भी कहा कि जिनके पास पहलेकी कुछ रोटियाँ बची हों वे अपने लिए उन रोटियोंको भी साथ ला सकते हैं और बासी रोटी खानेवालोंको साथके लिए गुड़की एक-एक डली दी जायगी। इस अभिप्रायसे वह राजमहलसे एक बोरी गुड़ भी लेता आया था। __सभी लोगोंको ज्योनारकी पंगतमें बैठना पड़ा। कुछ लोग गुड़के लालच में अपने घरसे ही खाने भरको रोटियाँ निकाल लाये। शेष खाली हाथ ही पंगतमें आ बैठे। इन खाली हाथ आनेवालोंमें कुछ सचमुच ऐसे भी थे जिनके घरकी रोटियाँ पूरे यत्नसे न रखनेके कारण सड़ या सूख गयी थीं या दूसरोने छल-बल पूर्वक उनका अपहरण कर लिया था। पूरी बात यह कि उस दिन सबने पंगतमे बैठकर भर पेट रोटियाँ खाई, कुछने घरकी बासी, गुड़के साथ और कुछने राजमहलकी ताजी, बिना
गुड़की।
. और उस रात गांववालोंने राजाके दूधकी चोरी नहीं की, क्योंकि पहली बार उनके पेट इतने भर गये थे कि उनमें चोरीका दूध पीनेकी