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मेरे कथागुरुका कहना है
असुर वर्गका प्रतिनिधि लगभग पौने तीन अरब मतोंसे विजयी घोषित कर दिया गया ।
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कहते है, तबसे पृथ्वीको भौतिक एवं सूक्ष्म शक्तियोंपर आसुरी आधिपत्यका ही प्रभाव है और उस प्रभावने भूतलसे दैवी वर्गकी प्रवृत्तियोंको सर्वथा निष्कासित कर दिया होता यदि उस आधिपत्यके सृजनमे देववर्गका भी एक मत सम्मिलित न होता । देवगुरु बृहस्पतिकी इस दूरदर्शी कूटनीतिक चालके फलस्वरूप ही मनुष्यके मनमे दैवी चेतनाके बीज सुरक्षित बचे हैं और अब द्रुत गतिसे अंकुरित हो रहे है ।
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