Book Title: Mere Katha Guru ka Kahna Hai Part 02
Author(s): Ravi
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 165
________________ दानकी विडम्बना १६५ अनूदित करके इसके भूलोकके राज-दरबारमे भेज दिये जायें, जिससे इस सेठका आवश्यक लेन-देन वहाँ पूरा कराया जा सके। ___और कर्मराजके आदेशसे लिपिका-जनोंकी इस टिप्पणीको यथोचित रूपमें कार्यान्वित भी किया गया ।

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