Book Title: Mere Katha Guru ka Kahna Hai Part 02
Author(s): Ravi
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 148
________________ अन्तिम खोज एक समूचे बड़े महाद्वीपपर फैला हुआ एक राजाका राज्य बहुत धना बसा हुआ था। उसे अपने देश-वासियोंके लिए नयी भूमि जीतकर उसपर उपनिवेश बनानेकी आवश्यकता हुई। राजाके आदेशसे अन्वेषकोंकी एक टोली समुद्री नौकाएँ लेकर नये द्वीपको खोजमे निकल पड़ी। ___बहुत दिनोंकी सुख-दुःख-पूर्ण यात्राके बाद अन्तमें यह अन्वेषक टोली एक द्वीपके तटपर पहुँच गयी। द्वोपके निवासियोंने इन लोगोंका कोई विरोध न करके एक प्रकारसे इनका स्वागत ही किया। उन्होंने समुद्र-तटपर ही इनके ठहरनेकी व्यवस्था करदी और पूरे द्वीपका भ्रमण करने और द्वीपवासियोंसे मिलने-जुलनेको सुविधाएँ भी उन्हें दे दी। इन द्वीप-वासियोंका कोई राजा न था और न इनकी बस्तियोंमें कोई विशेष शासन-व्यवस्था ही थी। कुछ दिनोंके सम्पर्कसे इस द्वीपके निवासी तैयार हो गये कि अभ्यागतोंके महाद्वीपका राजा उनके द्वीपको अपने राज्यमें सम्मिलित करले। इस सुन्दर वनों, पर्वतों, जलाशयों और समतल मैदानोंसे समृद्ध द्वीपका क्षेत्रफल महाद्वीपके चतुर्थाशके बराबर, तथा जनसंख्या बहुत बिररी, सहस्रांशसे भी कुछ कम थी। ऐसा सुन्दर द्वीप और उसके ऐसे सरल निवासी पाकर अन्वेषकोंको बड़ी प्रसन्नता हुई। उन्होंने उस देश और निवासियोंके सम्बन्धमें अधिकसे-अधिक बातोंकी जानकारी प्राप्त करली और अपने महाद्वीपको लौट आये। ___बड़े राजाका शासन स्वीकार करनेमें इस द्वीपके निवासियोंकी केवल एक शर्त थी : फलों-मेवोंके जिन बगीचोंसे वे लोग अपना आहार प्राप्त करते थे उनपर उनका ही अधिकार बना रहेगा। महाद्वीप-वासियोंके लिए इस छोटी-सी शर्तको स्वीकार करना कोई बड़ी बात न थी। नये उपनिवेश

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