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सात अरबका बिल
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अपने छोटे भाई द्वारा-क्योंकि उसका अपना कोई पुत्र नहीं है-श्राद्धतर्पणका अनुग्रह स्वीकार करनेपर ही वह मर्त्य-जीवनकी सीमासे मुक्त हो सकता है; और स्वर्गिक महाजनोंका उदार, निर्मूल्य निमंत्रण स्वीकार करके ही स्वर्गमें प्रवेश पा सकता है। किन्तु इन दो-मे-से किसीके लिए भी वह तैयार नहीं है। मेरे कथागुरुकी टिप्पणी है कि ग्रहों और अनुग्रहोके इस ब्रह्माण्डमें अनुग्रह और ऋणोंको न माननेवाले अकृतज्ञ महाऋणी व्यक्तिके लिए भू और स्वर्गमें स्थान कहाँ मिल सकता है !