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परिधि-हीन उस भोर महलोंमें खलबली मच गई। अपने शयन-कक्षमें सोती हुई राजकुमारी रातोंरात अदृश्य हो गई थी।
राज-ज्योतिषीको खोजकी आज्ञा हुई। अपने पत्रोंमें शोध कर वह महाराजके एकान्त कक्षमे उपस्थित हुआ। अपने सिरकी भिक्षा माँगकर उसने निवेदन किया कि राजकुमारी पड़ोसके राज्यमे अपने प्रेमी, उस राज्यके प्रधान सेनापतिके पुत्रके साथ है। ___ज्योतिषीका कथन ठीक निकला । गुप्तचरोंने एक सप्ताहके भीतर राजकुमारीको महाराजके सम्मुख ला उपस्थित किया। महलोंके बाहर वह एक दूसरे भवनमें रखी गई। राजकुलकी निष्कलंक मर्यादाकी दृष्टिमे वह उच्छिष्ट हो चुकी थी। ___ महाराजने पड़ोसी राजासे मांग की कि वह अपने सेनापतिके पुत्रको अपराधीके रूपमे उन्हे सौप दें। किन्तु उस राजाने यह मांग अस्वीकार कर दी। ___अपराधीको दंड देना अनिवार्य था। महाराजने पड़ोसी राज्यपर आक्रमणको योजना बना ली।
उसी बीच महाराजने एक रात स्वप्न देखा कि उनकी छोटी, परमरूपवती रानी एक परपुरुषके प्रेमपाशमें आबद्ध है । क्रोधके आवेशमें उन्होंने तत्काल अपने खड्गसे उस पुरुष और अपनी नई रानी, दोनोंका वध कर दिया।
जागनेपर महाराजको इस स्वप्नपर बड़ा आश्चर्य हुआ। उनकी कोई दूसरी नई रानी थी ही नहीं ।
स्वप्नकी चर्चा उन्होंने राजज्योतिषीसे की। स्वप्नको अत्यन्त सार्थक बताते हुए ज्योतिषीने विनय की कि जब-तक इस स्वप्नका फल सम्मुख न आ जाय तब-तकके लिए पड़ोसी राज्यपर आक्रमण स्थगित रखा जाय।' उसने बताया कि यह स्वप्न एक मासके भीतर फलित हो जाना चाहिए।