Book Title: Mere Katha Guru ka Kahna Hai Part 02
Author(s): Ravi
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 131
________________ प्यारकी भूमि मेरी पत्नीने एक रात स्वप्नमें देखा कि मेरा किसी अन्य स्त्रीसे प्रेम हो गया है । सुबह जागते ही उसने मुझे खार-खाई आँखोंसे देखा और अपने स्वप्नकी चर्चा करते हुए कहा कि उसके जीवनमे सचमुच कुछ भयंकर होने वाला है । दिन भर उसका मन मेरे प्रति रोष और आवेशसे भरा रहा और उसने मुझसे कोई बात न की । इस परिस्थितिका मेरे पास इसके अतिरिक्त और कोई चारा न था कि उस रात मै भी उसीके टक्करका कोई स्वप्न देखूँ । अगली सुबह मैंने उसे बताया कि मैने भी गत रात स्वप्न में देखा है कि मेरी पत्नीका किसी अन्य पुरुषसे प्रेम हो गया है । इस स्वप्न-कथनसे बात दबनेके बदले और भी उग्र हो गई । पत्नीने कहा - 'तुम अपना पाप छिपानेके लिए उलटा मुझीपर लांछन लगा रहे हो' और फफक-फफक कर रो पड़ी। उस दिन परिस्थिति सचमुच बहुत ही गम्भीर हो गई । • बड़ी कठिनाईसे समझा-बुझाकर मैने सारा मामला एक मित्रके सामने रखनेके लिए उसे राजी कर लिया । यह मित्र मेरी पत्नीके भी विशेष आदरणीय थे । उन्हें स्वप्न- प्रदर्शनकी विद्या आती थी । उन्होंने मेरी पत्नीको सान्त्वना दी कि सब मामला शीघ्र ही ठीक हो जायगा । अगली रात पत्नीने एक और स्वप्न देखा । वह चुपचाप उठी और घरके काम मे लग गई । मित्रके गुप्त आदेशानुसार मैं उस दिन दोपहर बीते तक खाटपर पड़ा करवटें बदलता रहा । I

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