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ईश्वर या दपरण?
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मैंने उनमेंसे एक चित्रका पर्दा हटाकर देखा और ईश्वरके असीम सुन्दर, परम आत्मीय रूपका दर्शन पाकर उसीमें खो गया।
कुछ समय बाद जब उस अनुभूतिके पीछे मेरो भौतिक स्मृतियांवाली चेतना भी लौटी तो मैंने देखा, मेरे सामने वह और कुछ नहीं, केवल एक स्वच्छ दर्पण हो था ।