________________
मेरे कथागुरुका कहना है कर मैं उनकी दृष्टिमें स्वयंको लज्जित अनुभव कर रहा था । चुप होकर मै चल दिया। ___ कुछ दूर पहुंचकर मैने देखा-बालक मेरे पीछे आ गया है। एकान्त पाकर उसने मुझसे कहा-'बाबूजी, मैं हूँ तो वही भिखारी और आपकी भीखपर ही पनप रहा हूँ। अन्तर इतना है कि आप अपने हाथसे उठाकर दे देते तो दुनियाके सामने भी आपका कृतज्ञ होता, किन्तु अब अकृतज्ञ हूँ।' ____ मेरा माथा झुक गया । फूलोंकी हानि तो मेरे लिए कोई हानि नहीं थी लेकिन एक बहुत बड़ी वस्तु मेरे हाथसे निकल गई थी और उसमे अपराध मेरा ही था ।