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मेरे कथागुरुका कहना है
सचमुच उस हाथी को उसके मालिकके किसी शत्रुने तीव्रतम विष देकर ही मारा था --
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गिद्धोंके मनमें उठे अनेक प्रश्नोंका समाधान करते हुए पड़ोस के पेड़की डाल पर बैठे एक अन्तर्यामी बुद्धिमान् कोएकी वाणी सुनाई दो
'सहयोग और सेवा छोटेसे छोटे जीवकी भी सादर, सहर्ष और कृतज्ञता पूर्वक लेनेके लिए प्रस्तुत रहना चाहिए । ऐसा सहयोग प्रस्तुत करनेवाली नगण्य मक्खी भी, जो दिन भरमे सौ बीघेसे अधिक दूर नहीं उड़ सकती, किसी गिद्धकी पूँछपर उसके अनजाने ही सवार होकर आधे दिनमे सौ कोस जा सकती है और वहाँ उसके दल-बल सहित प्राणोंकी रक्षा कर सकती है ।'