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घर और घेरा
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फिर भी उसके दावेका निरीक्षण होना ही था । राजाके साथ सभी ब्राह्मण उसके स्थानपर गये । उन्होंने चकित दृष्टि से देखा कि पिछली साँझ तक उसके घरके चारों ओर जो छोटी-सी चहार दीवारी थी वह भी अब ढही पड़ी थी । संभवतः रातों-रात हो उसे उसके मालिकने गिरा दिया था । राजाने तुरन्त ही झुककर उस ब्राह्मणके पैर छू लिये ।
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उसकी धरती ही सबसे अधिक और निस्सन्देह इतनी अधिक थी कि किसी भी बड़े से बड़े घेरेमें नहीं आ सकती थी और इसी नाते वह परम समृद्ध ब्राह्मण ही उस क्षणसे राजकुलका पुरोहित भी था ।