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मेरे कथागुरुका कहना है
इस कथामें मेरे कथागुरुने एक छोटी-सी टिप्पणी अपनी ओरसे यह जोड़ो है_ 'ऐसे भिक्षा-व्यवसायियोंके एक वर्गकी संसारको अभी आवश्यकता है और कोई भी व्यक्ति किसीसे कुछ याचना करनेके साथ-साथ, पाने और न पानेकी दोनों स्थितियोंमें, अपने याच्यका ऋण माननेका अभ्यास करके इस महान् भिक्षा व्यवसायके पथपर आगे बढ़ सकता है।'