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भूखा गाँव राजमहलके पड़ोसमें कुछ ही दूरीपर एक गाँव था। एक बार उस गाँवमें भयंकर अकाल पड़ा। अन्नका एक दाना भी उसके खेतोंमें नहीं उगा । लोगोंके भूखों मरनेकी नौबत आ पहुँची। फलस्वरूप गाँवमे ग़दर मच गया। जिन कुछ लोगोंके पास पिछली फसलका अन्न बचा छिपा रक्खा था, उन्हे लूट लिया गया । वह लूटका अन्न भी कितने दिन काम दे सकता था ! सुयोग वश गाँववालोंका ध्यान राजाको गौशालापर गया , जो उनके गाँव और राजमहलके बीचके कुछ खेतोंमें बसी हुई थी। गांव वालोंने रातोंरात गौवोंके दूधकी चोरीका क्रम अपनाया। उन दिनों राजाके पास फ़ौज-पुलिस और पहरे जैसे कोई साधन तो होते न थे; केवल अपनी सम्पन्नता और सभी लोगोंको सुखी बना सकनेको शक्तिके कारण ही राजा राजा कहलाता था।
गाँववाले अब हर रातको गोशालामे जाते और गौओंका दूध दुह कर पी आते। कुछ दिन बाद राजाके ग्वालोंने राजाको इस बातकी सूचना दी। राजाको गाँवके अकालका पता लगा और-क्रोधका उसके पास कोई काम ही न था-गाँववालोंको इस दशासे उसे चिन्ता हुई। अपने कुछ मंत्रियोंको उसने आज्ञा दी कि वे उस गांववालोंके कष्टोंकी ठीक-ठीक जाँच करके उनके निवारणके लिए अपने सुझाव प्रस्तुत करें। ___ मंत्रियोंने गाँवका निरीक्षण कर राजाको परामर्श दिया कि गांववाले रोटीके टुकड़े-टुकड़ेको तरस रहे हैं, सबसे पहले तुरन्त ही उनके लिए रोटीकी व्यवस्था होनी चाहिए।
अगली सुबह राजाने सारे गाँवके खाने भरको रोटियां उस गाँवमें भिजवा दी और वे उन्हें प्रत्येककी दिनभरकी आवश्यकताके अनुसार बाँट दी गयीं।