Book Title: Jain Vidya 24
Author(s): Kamalchand Sogani & Others
Publisher: Jain Vidya Samsthan

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Page 18
________________ जैनविद्या 24 मार्च 2010 पण्डित प्रभाचन्द्र - श्री रमाकान्त जैन* कर्णाटक में श्रवणबेलगोल में चन्द्रगिरि पर्वत पर कत्तिले बस्ती के दक्षिणी भाग में एक चतुर्मुख स्तम्भ है। उस स्तम्भ पर शक संवत् 1022 (1100 ई.) का एक लेख उत्कीर्ण है, जिसमें विभिन्न आचार्यों आदि की प्रशस्ति अंकित है। वह लेख 'जैन शिलालेख संग्रह' (प्रथम भाग) में लेख सं. 55 (69) के अन्तर्गत पृष्ठ 115-122 पर उद्धृत है। उस स्तम्भ-लेख के दक्षिणी मुख पर श्लोक 17-18 में पण्डित प्रभाचन्द्र की प्रशस्ति निम्नवत की गई है - श्रीधाराधिप भोजराज-मुकुट-प्रोताश्म-रश्मि-च्छटाच्छाया-कुङ्कम-पङ्क-लिप्त-चरणाम्भोजात-लक्ष्मीधवः। न्यायाङजाकरमण्डने दिनमणिश्शब्दाब्ज-रोदोमणिस्थेयात्पण्डित-पुण्डरीक-तरणिश्रीमान्प्रभाचन्द्रमाः।।17।। श्री चतुर्मुख-देवानां शिष्योऽधृष्यः प्रवादिभिः । पण्डित श्री प्रभाचन्द्रो रुद्रवादि-गजाङ्कुशः।।18।। * यह सूचित करते हुए दुःख है कि इस लेख के लेखक अब हमारे बीच विद्यमान नहीं हैं।

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