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जैनविद्या 24
डॉ. नेमीचन्द्र शास्त्री, ज्योतिषाचार्य ने श्रीमत्प्रभाचन्द्र द्वारा लिखित निम्न ग्रंथों-कृतियों का उल्लेख निर्विवाद मानते हुए किया है24 -
1. प्रमेयकमलमार्तण्ड - परीक्षामुख-व्याख्या 2. न्यायकुमुदचन्द्र - लघीयस्त्रय-व्याख्या 3. तत्वार्थवृत्ति पद-विवरण - सर्वार्थसिद्धि-व्याख्या 4. शाकटायन न्यास - शाकटायन व्याकरण-व्याख्या 5. शब्दाम्भोज भास्कर - जैनेन्द्र व्याकरण-व्याख्या 6. प्रवचनसार सरोज भास्कर - प्रवचनसार-व्याख्या 7. गद्य कथा कोष - स्वतंत्र रचना 8. रत्नकरण्ड श्रावकाचार टीका 9. समाधितंत्र टीका 10. क्रियाकलाप टीका 11. आत्मानुशासन टीका 12. महापुराण टिप्पण
श्री जुगलकिशोर मुख्तार ने रत्नकरण्ड श्रावकाचार की प्रस्तावना में 'रत्नकरण्ड श्रावकाचार' की टीका और 'समाधितंत्र' की टीका को प्रस्तुत प्रभाचन्द्र द्वारा रचित नहीं मानकर किसी अन्य प्रभाचन्द्र की रचनाएँ माना है। किन्तु रत्नकरण्ड टीका और समाधितंत्र की टीका में प्रमेयकमलमार्तण्ड और न्यायकुमुदचन्द्र का एकसाथ विशिष्ट शैली में उल्लेख होना इस तथ्य का सूचक है कि ये दोनों टीकाएँ प्रसिद्ध प्रभाचन्द्र की हैं। जैसे - “तदलमतिप्रसंगेन प्रमेयकमलमार्तण्डे न्यायकुमुदचन्द्रे प्रपंचतःप्ररूपणात्।"
- रत्नकरण्ड टीका, पृष्ठ 6 "यैपुनर्योगसांख्यैर्मुक्तौ तत्प्रच्युतिरात्मनोऽभ्युपगता ते प्रमेयकमलमार्तण्डे न्यायकुमुदचन्द्रे च मोक्षविचारे विस्तरतः प्रत्याख्याताः।"
- समाधितंत्र टीका, पृष्ठ 15