Book Title: Jain Vidya 24
Author(s): Kamalchand Sogani & Others
Publisher: Jain Vidya Samsthan

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Page 86
________________ जैनविद्या 24 6.साध्यसाधनयो स्वभावप्रतिबन्धे साक्षात्कृतेऽपि साकल्येन व्याप्ति परीक्षातः । प्रमाणसंग्रह स्ववृत्ति-37 7. षट्खण्डागम में ईहा के लिए 6 पर्यायवाची शब्दों का प्रयोग किया गया है :ईहा - ऊहा-अपोहा-मार्गणा - गवेषणा-मीमांसा षट्खण्डागम 5/5/38 इन पदों का अर्थ स्पष्ट करते हुए वीरसेन स्वामी कहते हैं - " उत्पन्नसंशयविनाशाय ईहते चेष्ठते अनया बुद्धया इति ईहा । अवगृहीतस्यार्थस्यानधिगतविशेषः उहमते तर्क्यते अनया इति ऊहा। अपोह्यते संशयनिबन्धविकल्पः अनया इति अपोहा । अनधिगतार्थविशेषो मृग्यते अन्विष्यते अनया इति मार्गणा । गवेष्यते इति गवेषणा । मीमांस्यते विचार्यते अवगृहीतो अर्थो विशेषरूपणे अनया इति मीमांसा । - धवला; पुस्तक 13, पृष्ठ 242 8. संदेहादो उवरिमा, अवायादो ओरिमा, विच्चाले पयत्ता विचारबुद्धी ईहा णाम । 9. उपलम्भानुपलम्भनिमित्तं व्याप्तिज्ञानमूह । 10. प्रमेयकमलमार्तण्ड; पृष्ठ 348 11. अविज्ञाततत्त्वेऽर्थे कारणोपपत्तिस्तत्त्वज्ञानार्थमूहस्तर्कः । - 17. न्यायकुमुदचन्द्र; पृष्ठ 429 18. न्यायकुमुदचन्द्र; पृष्ठ 429 DOO - 77 न्यायसूत्र 1.1.40 12. अविज्ञातत्त्वे सामान्यतो ज्ञाते धर्मिण्येकपक्षानुकूलकारणदर्शनात्तस्मिन् सम्भावनाप्रत्ययो भवितव्यतावभासस्तदितरपक्षशैथिल्यापादने तद्ग्राहकप्रमाणमनुग्राह्यतान्मुखं प्रवर्तयैस्तत्त्व ज्ञानार्थमूहस्तर्कः इति । न्यायमंजरी; भाग 2, पृष्ठ 145 13. तर्कभाषा; पृष्ठ 84 14. न्यायमंजरी; पृष्ठ 145 15. भारतीय दर्शन में अनुमान; पृष्ठ 156 16. अनुसन्धानेन हि व्याप्तिरूल्लिख्यते, ... प्रत्यक्षरूपता तु तस्य अनुपपन्ना `विभिन्नसामग्रीविषयत्वात्। तद्भि इन्द्रियादिसामग्रीकं सम्बद्धवर्तमानार्थविषयश्च प्रसिद्धम्, नचेदं तथा इति कथं प्रत्यक्षरूपतां प्रतिपादयेत्। - न्यायकुमुदचन्द्र; पृष्ठ 431 धवला; पुस्तक 13, पृष्ठ 17 परीक्षामुखसूत्र 3.11 - व्याख्याता, दर्शनशास्त्र राजकीय महाविद्यालय, अजमेर

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