Book Title: Jain Vidya 24
Author(s): Kamalchand Sogani & Others
Publisher: Jain Vidya Samsthan

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Page 93
________________ जैनविद्या 24 (1) विरुद्धव्याप्योपलब्धि हेतु, (2) विरुद्धकार्योपलब्धि हेतु, (3) विरुद्धकारणोपलब्धि हेतु, (4) विरुद्धपूर्वचरोपलब्धि हेतु, (5) विरुद्धउत्तरचरोपलब्धि हेतु और (6) विरुद्धसहचरोपलब्धि हेतु । ये सभी हेतु प्रतिषेध-साधक हैं, अर्थात् इन हेतुओं के द्वारा अभावरूप साध्य की सिद्धि की जाती है। परीक्षामुख' एवं 'प्रमेयकमलमार्तण्ड' में इन हेतुओं के भी लक्षण नहीं दिये गये हैं, मात्र उदाहरण दिये गये हैं। (1) विरुद्धव्याप्योपलब्धि हेतु - परीक्षामुख में विरुद्धव्याप्योपलब्धि हेतु का उदाहरण दिया गया है - “यहाँ पर शीत स्पर्श नहीं है; क्योंकि उष्णता है"। इस उदाहरण में 'शीत स्पर्श का अभाव' साध्य है और 'उष्णता हेतु । किन्तु उष्णता अग्नि का व्याप्य है जो कि प्रतिषेध्यभूत शीतस्पर्श का विरोधी है। अतः यह विरुद्धव्याप्योपलब्धि हेतु का उदाहरण है। इस उदाहरण के आधार पर विरुद्धव्याप्योपलब्धि हेतु का लक्षण किया जा सकता है कि प्रतिषेध साधक, विरुद्ध तथा व्याप्यरूप हेतु का पाया जाना, अर्थात् साध्य पदार्थ के विरुद्ध पदार्थ के व्याप्य का पाया जाना 'विरुद्धव्याप्योपलब्धि हेतु' कहलाता है। ___ (2) विरुद्धकार्योपलब्धि हेतु - विरुद्धकार्योपलब्धि हेतु का उदाहरण दिया गया है - “यहाँ पर शीत स्पर्श नहीं है, क्योंकि यहाँ धूम है" |20 इस अनुमान में 'शीत स्पर्श का अभाव' साध्य है और 'धूम' हेतु । किन्तु 'धूम' प्रतिषेध्य साध्य शीत स्पर्श के विरोधी पदार्थ ‘अग्नि' का कार्य है। इसलिए यह विरुद्धकार्योपलब्धि हेतु का उदाहरण । है। अतः कहा जा सकता है कि प्रतिषेध साधक, विरोधी और कार्यरूप हेतु का पाया जाना, अर्थात् प्रतिषेध्य साध्य पदार्थ के विरुद्ध पदार्थ के कार्य का पाया जाना 'विरुद्धकार्योपलब्धि हेतु' कहलाता है। (3) विरुद्धकारणोपलब्धि हेतु - और प्रतिषेध-साधक, विरुद्ध तथा कारणरूप उपलब्ध हेतु को 'विरुद्धकारणोपलब्धि हेतु' कहते हैं अथवा प्रतिषेध साध्य पदार्थ के विरुद्ध पदार्थ के कारण का पाया जाना 'विरुद्धकारणोपलब्धि हेतु' कहलाता है। उदाहरण के रूप में, इस प्राणी में सुख नहीं है, क्योंकि हृदय में शल्य है। इस अनुमान में प्राणी में सुख का अभाव' साध्य है और हृदय में शल्य होना' हेतु। यहाँ हेतु शल्य' सुख के विरोधी दुःख का कारण है। अतः यह विरुद्धकारणोपलब्धि हेतु का उदाहरण है। (4) विरुद्धपूर्वचरोपलब्धि हेतु - प्रतिषेध-साधक, विरुद्ध तथा पूर्वचररूप उपलब्ध हेतु को, अर्थात् प्रतिषेध्य साध्य पदार्थ के विरोधी पदार्थ के पूर्वचर का पाया जाना

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