Book Title: Jain Vidya 24
Author(s): Kamalchand Sogani & Others
Publisher: Jain Vidya Samsthan

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Page 58
________________ कविता 24 जैनविद्या 24 मार्च 2016 मार्च 2010 प्रभाचन्द्र नाम के कुछ जैन विद्वान - पण्डित कुन्दनलाल जैन जैन साहित्य के इतिहास में प्रभाचन्द्र नाम के लगभग 20 विद्वान मिलते हैं पर उनकी प्रसिद्धि हमारे लेख के नायक प्रमेयकमलमार्तण्ड' तथा 'न्यायकुमुदचन्द्रादि' ग्रन्थों के रचयिता ‘श्री प्रभाचन्द्र' से भिन्न है। नीचे प्रभाचन्द्र नाम के अन्य विद्वानों का संक्षिप्त परिचय देकर अपने लेख के नायक प्रभाचन्द्र का विस्तृत व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व पर कुछ रोचक सामग्री प्रस्तुत करूँगा। स्व. पण्डित परमानन्दजी ने अपने इतिहास ग्रन्थ में केवल चार प्रभाचन्द्रों का उल्लेख किया है। जैन साहित्य के इतिहास को प्रामाणिक तथा सम्पूर्ण तथ्यों से युक्त बनाना बड़ी टेढ़ी खीर है। हमारे आचार्यों-विद्वानों तथा भट्टारकों ने इतने विशाल साहित्य की रचना की है जिनको हमने, उनके उत्तराधिकारियों ने सुरक्षित नहीं रखा। कुछ धार्मिक उन्मादवश दोनों संप्रदायों के विशाल साहित्य को जला दिया या नष्ट-भ्रष्ट कर दिया। दूसरे हमारे आचार्यों ने ग्रन्थ रचना तो की पर उसमें अपने बारे में समय, राज्य, गुरु, स्थान आदि ऐतिहासिक तथ्यों की सर्वथा उपेक्षा की है। बड़े-बड़े उच्च कोटि के * यह सूचित करते हुए दुःख है कि इस लेख के लेखक अब हमारे बीच विद्यमान नहीं हैं।

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