Book Title: Jain Vidya 24
Author(s): Kamalchand Sogani & Others
Publisher: Jain Vidya Samsthan

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Page 68
________________ जैनविद्या 24 4. आत्मानुशासन तिलक प्रशस्ति, पृ. 201 5. आराधना कथा प्रबन्ध प्रशस्ति, पृ. 202 6. प्रवचन सरोज भास्कर प्रशस्ति, पृ. 203 इन प्रभाचन्द्र को अनेक जगह ‘पण्डितप्रवर' शब्द से अंकित किया है और कहीं 'आचार्य प्रभाचन्द्र' शब्द से अलंकृत हैं। हम उन विद्वानों के आभारी हैं जिनके ग्रन्थों की सामग्री इस लेख में दी गई है। 1. जैन शिलालेख संग्रह, भाग प्रथम, पृ. 79 2. जैन शिलालेख संग्रह, भाग प्रथम, पृ. 118, भूमिका, पृ. 112, 133, 142 3. जैन शिलालेख संग्रह, भाग प्रथम, पृ. 231 4. जैन शिलालेख संग्रह, भाग प्रथम, पृ. 253 5. जैन शिलालेख संग्रह, भाग प्रथम, पृ. 267 6. जैन शिलालेख संग्रह, भाग प्रथम, पृ. 170 7. जैन शिलालेख संग्रह, भाग प्रथम, पृ. 427 8. भट्टारक सम्प्रदाय, सम्पा. - श्री विद्याधर जोहरापुरकर, पृ. 104-105 9. भट्टारक सम्प्रदाय, जोहरापुरकर, पृ. 8 10. भट्टारक सम्प्रदाय, जोहरापुरकर, पृ. 185 11. भट्टारक सम्प्रदाय, जोहरापुरकर, पृ.185 12. जैन ग्रन्थ प्रशस्ति संग्रह, श्री जुगलकिशोरजी मुख्तार, भूमिका, पृ. 21 13. जैन ग्रन्थ प्रशस्ति संग्रह, श्री जुगलकिशोरजी मुख्तार, 26 भूमिका, पृ. 23 14. जैन ग्रन्थ प्रशस्ति संग्रह, श्री जुगलकिशोरजी मुख्तार, पृ. 66, भूमिका, पृ. 32 15. जैन ग्रन्थ प्रशस्ति संग्रह, श्री जुगलकिशोरजी मुख्तार, पृ. 201 16. जैन ग्रन्थ प्रशस्ति संग्रह, श्री जुगलकिशोरजी मुख्तार, पृ. 223 भूमिका, पृ. 112 17. जैनिज्म इन इण्डिया, पृ. 417 18. जैन ग्रन्थ प्रशस्ति संग्रह, श्री जुगलकिशोरजी मुख्तार, पृ. 214 19. माणिकचन्द्र दिगम्बर जैन ग्रन्थमाला, 28वाँ पुष्प, पाँचवाँ अध्याय, पृ. 17 20. Political histry I No. v. Than India by Sh. Sorac Chandra, पृ. 107 21. जैन ग्रन्थ प्रशस्ति संग्रह, श्री जुगलकिशोरजी मुख्तार, पृ. 143 22. जैनधर्म का प्राचीन इतिहास, भाग द्वितीय, पण्डित परमानन्द, पृ. 286 23. जैनधर्म का प्राचीन इतिहास, भाग द्वितीय, पण्डित परमानन्द, पृ. 286 68, श्रुति कुटीर, युधिष्ठिर गली, विश्वासनगर, शाहदरा, दिल्ली-32 000

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